“कलयुग के राजा – बाबा खाटू श्याम” किताब में बाबा श्याम से संबंधित रहस्यों को उजागर किया गया है।
बाबा के जीवन के संबंध में बहुत-सी भ्रांतियां हैं। कोई बाबा की माता श्री का नाम मोरवी बताता है तो कोई अहलवती। कहीं पर बाबा को भीम का पौत्र कहा गया है, तो कहीं पर उनका पुत्र बताया गया है। किसी का कहना है कि बाबा का शीश हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले से राजस्थान के खाटू नगर में रूपमति नदी में तो कोई सरस्वती नदी में बह कर आया बताता है।
क्या बाबा का कोई भी भक्त यह स्वीकार कर पाएगा कि— जिसे “कलयुग का राजा” होने की उपाधि श्री हरि विष्णु द्वारा प्रदान की गई हो, उसके शीश को किसी नदी में बहा दिया जाएगा। जिस योद्धा के शीश को दान में मांगने के लिए श्री विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को अपना भेष बदलना पड़ा, क्या उसके शीश को किसी नदी में बहाना, उस योद्धा का अपमान नहीं होगा?
उस योद्धा के शीश की ऐसी दुर्गति क्या कोई भक्त बर्दास्त कर पाएगा? ऐसे बहुत सारे प्रश्न थे जो मेरे भी मन-मस्तिष्क में कौंधते थे। इस किताब के माध्यम से इन सभी रहस्यों से पर्दा उठाया गया है।
इसके अलावा भी बाबा की शिक्षा-दीक्षा, जिस समय बाबा ने शीश का दान किया, उस समय बाबा की आयु कितनी थी आदि बहुत सारे रहस्यों को उजागर किया गया है।
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