291. मंत्रों की महत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारे सनातन धर्म में मंत्रों की महत्ता सार्वभौमिक है। जन्म से मृत्यु तक प्रत्येक महत्वपूर्ण कार्य, उत्सव, पूजा-पाठ और हवन आदि मंत्रोच्चारण के बिना पूर्ण नहीं होते। यह भी सच है कि आज के भाग दौड़ भरे युग में देश, काल व परिस्थितियों के कारण विशुद्ध मंत्रोच्चारण के …

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290. खुशियों के फूल

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः किसी के जीवन में कांटे बो कर हम खुशियों के फूलों की कल्पना नहीं कर सकते। खुशियों के फूल हमारे कर्मों की खाद- पानी से पल्लवित व पुष्पित हृदयरूपी क्यारी में ही खिल सकते हैं। मन की पवित्रता और सकारात्मक विचारों से बुरे से बुरे कार्य भी अच्छे …

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289 प्रभु संपदा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः इस संसार में प्रभु- संपदा को छोड़ कर शेष संपदाएं मनुष्य को दुख, तकलीफ, झूठ, छल, कपट, धोखा, विश्वासघात, अन्याय, शोषण आदि के माध्यम से भोग के साधनों का संग्रह करना सिखाती हैं और उसे दुख के भवसागर में डुबोने का काम करती हैं। इसका परिणाम यह हुआ …

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288. मन से करें संवाद

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है। वह हर समय अपनी परेशानियों के बोझ को मन में दबाए रखता है। जिससे वह मानसिक कुंठा का शिकार हो जाता है। लेकिन कभी- कभी जीवन में ऐसे क्षण भी आते हैं, जब वह बेचैन हो जाता है और अपने …

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287. जीवन रुपी रथयात्रा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यात्रा से अभिप्राय गतिमान होने से है यानी एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना। मनुष्य ही नहीं बल्कि पूरी सृष्टि अपने- अपने अनुसार यात्रा कर रहे हैं। सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, नदियां, पेड़-पौधे सभी गतिशील है। यदि गतिशीलता नहीं होगी तो विकास प्रक्रिया बाधित हो जाएगी। इस धरा …

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286. भोग और त्याग का समन्वय

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए भौतिक पदार्थों की महत्ती आवश्यकता है। आज के दौर में मानव ऐशो- आराम की जिंदगी जीना ज्यादा पसंद करता है, जिससे उसकी भौतिक वस्तुओं को पाने की लालसा दिनों- दिन बढ़ती जाती है। वह भौतिक पदार्थों का इतना आदी …

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285. आंतरिक संघर्ष

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मानव की जीवन यात्रा संघर्षों से ही प्रारंभ होती है। मनुष्य के जन्म के पश्चात् संघर्ष शुरू हो जाते हैं और संघर्षों की यही यात्रा उसकी मृत्यु तक चलती रहती है। देखा जाए तो संघर्ष जीवन का पर्याय है। यह जीवन पर्यंत चलता ही रहता है। दूसरे शब्दों …

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284. ईश्वरीय कृपा की महत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः अनादि काल से यह चराचर सृष्टि उस निराकार परम सत्ता की न्यायप्रिय बागडोर से ही अधिशासित होती रही है। उनकी यह व्यवस्था बहुत ही सुव्यवस्थित है, जिसके कारण किसी भी जीव के साथ कोई अन्याय नहीं होता। फिर भी सभी को वह सब नहीं मिल पाता, जिसकी वे …

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283. शांति, मन की

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः शांति मनुष्य के जीवन में तभी हो सकती है, जब वह अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार की परिस्थितियों में सामंजस्य स्थापित कर लेता है। उस समय उसका मन-मष्तिस्क चिंता ग्रस्त एवं तनाव में नहीं रहता। चिंता से भागकर कभी नहीं बचा जा सकता परंतु यदि मानसिकता को बदला …

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282. सत्यता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जिस प्रकार बीज की यात्रा वृक्ष तक है, नदी की यात्रा सागर तक है, जन्म की यात्रा मृत्यु तक है, उसी प्रकार मनुष्य की यात्रा परमात्मा तक है, यही सत्यता है। इसको कोई नकार नहीं सकता। यह सत्य है कि परमात्मा की निकटता पाने के लिए हमारे भीतर …

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