Month: October 2021

226. सत्य की शक्ति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सत्य अर्थात् जैसा देखा, जैसा सुना और जैसा अनुभव किया, उसे वैसा ही कहना और उसी के अनुरूप अपने जीवन को ढालना सत्य कहलाता है। सत्य जो पूरी तरह यथार्थ या संपूर्ण हो। जिसमें जरा- सी भी अपूर्णता ना हो, किसी तरह का दोष ना हो। सत्य के …

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225. प्रभु लहर

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः इस संसार में इंसान के जीवन में सुंदरता, मादकता एवं आकर्षण तभी तक सुंदर और उपयोगी है, जब तक इसमें प्रभु रूपी सांसो की लहर विद्यमान है। इस संसार से परे परब्रह्मस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वकर्ता, निर्मल, स्वयंप्रकाश, आदि-अंत से रहित, निर्गुण और सच्चिदानंद स्वरुप परब्रह्म हैं, उसी के अंश …

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224. सद्व्यवहार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आज के समय में प्रत्येक मनुष्य को कोई न कोई कारण हमेशा परेशान करने के लिए मौजूद रहता है। जिससे उसके सद्व्यवहार और शिष्टाचार में कमी दिखाई पड़ती है। लेकिन आज के दौर में आप किसी भी स्थान पर हों, चाहे सभागार, स्कूल, कॉलेज, कार्यक्षेत्र या घर में …

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223. जागृत रहो

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य जीवन का प्रत्येक क्षण मूल्यवान है। जो क्षण बीत गया वह कभी लौट कर वापस नहीं आता। इसलिए मनुष्य के लिए यह आवश्यक है कि वह प्रत्येक क्षण जागृत रहे क्योंकि इस संसार में मनुष्य का जन्म ही जागने और जगाने के लिए हुआ है। जब वह …

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222. विसर्जन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः विसर्जन हमें मोह माया से मुक्ति का रास्ता दिखलाता है। हमारी आसक्ति को क्षीण करता है और हमारी लोभ प्रवृत्ति को शांत करता है। जिसके अंतर्मन में विसर्जन का भाव जागृत हो गया, समझो वह व्यक्ति संत हो गया। आदि शंकराचार्य के बारे में कहा जाता है कि—एक …

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221. आस्तिकता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आस्तिकता का सर्वाधिक लोकप्रिय आधार ईश्वर में आस्था से है। जगत् का सृजन, पालन और संहार ईश्वर की लीला है। सनातन धर्म में ईश्वर को पूर्ण माना गया है। वे सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और पूर्णस्वतंत्र हैं।हमारी सनातन परंपरा में आस्तिकता के तीन प्रमुख आधार माने गए हैं।पहला- वेद में …

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220. परोपकार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसके समाज के प्रति कुछ कर्तव्य भी होते हैं। लेकिन आज के समय में मनुष्य स्वार्थी हो गया है। परोपकार की भावना को उसने तिलांजलि दे दी है। वह हर समय अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचता रहता है। वह परोपकार की …

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219. एकाग्रता की महत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मन की एकाग्रता हमारी शक्ति की आधारशिला बनती है। यह जीवन की समस्त शक्तियों को समाहित कर मानसिक क्रांति उत्पन्न करती है। जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने में एकाग्रता की बहुत महत्ता है। आधुनिक विज्ञान की दृष्टि में एकाग्रता की महत्ता को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के रूप …

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218. इच्छाशक्ति से पाएं सफलता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारी इच्छाशक्ति वह अस्त्र है, जो मन को शुद्ध रखती है। मधुर मन और खुश मन सदैव सफलता की ओर अग्रसर करता है। मन को मजबूत और बलवान बनाना हमारा संकल्प होना चाहिए क्योंकि मन का स्वस्थ होना ही होश में होना कहलाता है। महान और सफल व्यक्ति …

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217. संतोष

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यह संसार आंसुओं की घाटी नहीं, संतोष का उपवन है। संतोष एक जादुई दीपक की तरह है।कवियों ने संतोष के बारे में बहुत ही सुंदर चित्रण किए हैं —संतोष के दीपक से मछुआरे की टूटी- फूटी झोपड़ी चांदी के महल में बदल जाती है। उस झोपड़ी के शहतीर, …

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