Month: January 2021

89. मौन का महत्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आधुनिक जीवन शैली में मौन का महत्व चमत्कार उत्पन्न करने में सक्षम है। जब व्यक्ति दिन भर कार्यों में व्यस्त रहता है तो तनाव के मकड़जाल में फंस जाता है। उसी समय मौन का सामीप्य उस पर मातृवत् प्रेम बरसाता है। कहा गया है -मौन सर्वार्थ साधनम् यानी …

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88.कर्मक्षेत्र

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जिस प्रकार पुराणों में वर्णित है कि—ब्राह्मणों का आभूषण विद्या, पृथ्वी का आभूषण राजा, आकाश का आभूषण चंद्र एवं समस्त चराचर का आभूषण शील है, उसी प्रकार मनुष्य का आभूषण उसके कर्म हैं। इस संसार में कर्म ही प्रधान है। इतिहास गवाह है कि भीम, अर्जुन आदि राजपुत्रों …

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87. युवाओं के प्रेरणापुंज— स्वामी विवेकानन्द

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः युवाओं के प्रेरणापुंज, युगपुरुष, वेदांत दर्शन के पुरोधा, मातृभूमि के उपासक, विरले कर्मयोगी, मानव सेवक एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी— स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके प्रेरक व्यक्तित्व का जितना महिमामंडन किया जाए, कम जान पड़ता है। वे युवाओं के लिए …

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86. परिवार की महत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे सामाजिक प्राणी इस परिवार रूपी संस्था के कारण ही तो माना जाता है। लेकिन आज उसी परिवार के प्रति, आज की पीढ़ी का उपेक्षित व्यवहार बहुत सारी सामाजिक समस्याओं का आधार है। परिवार हमारी संस्कृति की रीढ़ है। इस परिवार रूपी संस्था …

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85. अज्ञानता रूपी अहंकार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः अज्ञानता रूपी अहंकार एवं अंधकार में डूबा मनुष्य हर अच्छे काम का श्रेय स्वयं को देने का भ्रम करता रहता है। लेकिन इस रहस्य से प्रायः अनभिज्ञ रहता है कि यदि किसी भी अच्छे, उत्तम एवं सफल काम का मूल केवल वही है, तो फिर वह कार्य उसके …

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84. एकांतवास का महत्त्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नम एकांतवास का शाब्दिक अर्थ है— अकेले रहना। अपने जीवन में कुछ समय भौतिक जंजाल एवं दुनियादारी से अलग होकर रहना ही एकांतवास है। कोरोना काल में, लॉकडाउन के समय यह शब्द काफी प्रचलन में आया। हमारे में से प्रत्येक एकांत में जाने की बात कर रहा था। हमारे …

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83. पाएं, भय से मुक्ति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः भय एक ऐसा भाव है, जिससे मनुष्य अपना पूरा जीवन जूझता ही रहता है। वह अपना पूरा जीवन भय के साए में ही गुजार देता है। वह हमेशा भयग्रस्त रहता है। भयभीत वातावरण में सद्गुण भी दुर्गुण बन सकते हैं। सत्प्रवृत्तियां कमजोर पड़ जाती हैं। भय भी विभिन्न …

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82. फूलों-सा महकता जीवन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जब हम फूलों का नाम सुनते हैं, तो हमारे चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान आ जाती है और जब हम उन्हें देखते हैं, स्पर्श करते हैं, तो हमारा रोम-रोम फूलों की तरह खिल उठता है। आखिर फूलों में कुछ तो खूबियां होंगी ही, तभी तो इन्हें देखकर हमारा …

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81. जीवन जीनें की कला

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन स्वयं, जीने की एक कला है अर्थात् जीवन वही जिसमें जीने का मर्म छिपा है। जीने का मर्म और जीने का धर्म दोनों ही इस जीवन धारा के प्रवाह में दो किनारे हैं। धर्म यह है कि— जीवन जीने के विज्ञान और कला को एक सूत्र में …

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80. बाल संस्कार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे संस्कारी बनें, तो बचपन में ही हमें उनमें संस्कार डालने होंगें, तभी वे बड़े होकर एक संस्कारी और श्रेष्ठ व्यक्तित्व को प्राप्त करेंगे। क्योंकि संस्कार मनुष्य के आभूषण होते हैं। यह मनुष्य को गुणवान एवं लोकप्रिय बनाते हैं। संस्कारी व्यक्ति की …

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