Month: April 2022

254. धैर्य का परिणाम

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः एक कहावत है कि— वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा कुछ नहीं मिलता। किस्मत की डोर तो कर्म के हाथों में बंधी होती है। आप जैसे कर्म करते हैं, वैसा ही फल आपको किस्मत के रूप में प्राप्त होता है। परंतु समय से पूर्व अभीष्ट की पूर्ति …

254. धैर्य का परिणाम Read More »

253. आलस्य

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः एक चींटी और कछुए में मित्रता थी। चींटी का स्वभाव है कि— वह हर समय काम करती रहती है। चींटी मेहनती होती है लेकिन कछुआ आलसी होता है। वह चींटी को काम करते हुए देखकर यही कहता कि तुम व्यर्थ में क्यों इतना काम करती हो। मेरी तरह …

253. आलस्य Read More »

252. कर्मफल

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः इस भौतिक संसार में ईश्वर ने जड़ और चेतन दो प्रकार की सृष्टि की रचना की। जीवों की सृष्टि के कर्म में उसने सबका मंगल करने के लिए मनुष्य को बुद्धि, विवेक से अलंकृत कर जीवों में श्रेष्ठतम स्थान प्रदान किया। यही कारण था कि उस पर वन्य …

252. कर्मफल Read More »

251. सन्यास

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जिसे देखो, वह संन्यास लेने की बातें करता रहता है। सब कुछ छोड़ कर पर्वतों, पहाड़ों, जंगलों या गुफाओं में बैठकर साधना करना चाहता है। वह यही सोचता है कि घर परिवार से दूर रहकर ही सन्यास लिया जा सकता है। वह …

251. सन्यास Read More »

250. अध्यात्म

श्री गणेशाय नम श्री श्याम देवाय नमः अध्यात्म आंतरिक क्रांति है। यह इस बात की उद् घोषणा है कि मैं भीतर अपने को बदलूंगा। इस धरा पर जन्म लेने के पश्चात् मनुष्य अपने जीवन को सफल करना चाहता है लेकिन सफलता की कोई परिभाषा नहीं है। वह स्वयं नहीं समझ पाता कि उसका जीवन कैसा …

250. अध्यात्म Read More »

249. कर्म की महत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारे ग्रंथों में उल्लेखित है कि— आत्मा का उद्देश्य ही कर्म करना है। कर्म शरीर, वाणी और मन से किए जाते हैं। कर्म के अभाव में कोई भी जीव अपना अस्तित्व नहीं रख सकता। जहां शरीर है, वहां कर्म आवश्यक होता है। सिर्फ विचारों से संसार नहीं बन …

249. कर्म की महत्ता Read More »

Shopping Cart