Month: April 2020

31. कर्म बड़ा या भाग्य

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः कर्म बड़ा या भाग्य, यह एक ऐसा प्रसन्न है, जिसके अंतिम निष्कर्ष पर एक मत से नहीं पहुंचा जा सकता। भाग्य के संदर्भ में बहुत पुराने दौर से दो परस्पर विरोधी विचार धाराएं रही  है। एक के अनुसार मनुष्य उस से बंधा हुआ है, जो उसके भाग्य में पहले …

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30. एकांतवास

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः एकांतवास से अभिप्राय है- निर्जन स्थान में रहना, अकेले में रहना, सबसे अलग रहना। जो मनुष्य अध्यात्म में विश्वास करते हैं, उनके लिए एकांतवास एक महत्वपूर्ण समय होता है। लेकिन मैं आज के समय की बात कर रही हूं ।जब भारत सहित पूरा विश्व एक अदृश्य संकट से गुजर …

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29. धैर्य से करें देव साधना

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः ईश्वर ने यह दुर्लभ मानव जीवन चालाकियों, व्यर्थ चमचागिरी एवं छद्मपूर्ण कार्यों में नष्ट करने के लिए नहीं दिया है, अपीतु अपने पौरुष से दुर्लभ गुणों एवं शक्ति साधनों का सदुपयोग कर देव-साधना के माध्यम से स्वयं एवं मानव के कल्याण के लिए दिया है। देव साधना के प्रभाव …

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28. धर्म और आध्यात्मिकता

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः धर्म और आध्यात्मिकता यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। क्योंकि जहां धर्म होगा, वहां अध्यात्म का होना अनिवार्य है और जहां अध्यात्म होगा, वहां धर्म अपने आप स्थापित हो जाता है। इसलिए ये दोनों शब्द एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। धर्म का अनुसरण तो सभी करते हैं। …

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27. सत्य की खोज – शिक्षा

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः शिक्षा गुरु शिष्य की परंपरा से होते हुए बहुत लंबा सफर तय कर चुकी है। आज के समय में आप मोबाइल पर किसी को भी अपना गुरु बना सकते हैं और किसी से कुछ भी सीख सकते हैं। नई-नई तकनीकों ने हमें कहीं भी, कभी भी पढ़ने का मौका …

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26. संघर्ष

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः अगर जीवन में संघर्ष न हो तो मनुष्य के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता। बिना कड़ी मेहनत के जो सफलता पाई जाती है, वह महत्वहीन होती है। परिस्थितियों से जूझते हुए, कठिनाइयों से लड़ते हुए यदि हिम्मत ना हारी जाए, तो सफलता रूपी मंजिल जरूर मिलती है। …

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25. स्वयं की तलाश

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः मैं कौन हूं? मेरा वजूद क्या है? मैं कहां से आया हूं? वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति को खुद के बारे में कोई भी ज्ञान नहीं होता। इस भौतिक संसार में वह किस प्रयोजन के लिए आया है। ऐसे बहुत सारे प्रश्न मानव के मस्तिष्क में उत्पात मचाते रहते हैं। …

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24. अमंगल से मंगल

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः अमंगल अर्थात मनुष्य के जीवन की वह स्थिति जिसमें मनुष्य अपने जीवन के किसी विशेष समय में, किसी विशेष संकट में पड़ कर, अपने दुर्भाग्य को देख रहा होता है। जैसे कि वह किसी दुर्घटना का शिकार हो अथवा किसी अनचाही स्थिति में फंसकर अपयश का भागी बनना पड़ा …

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23. परिवार का महत्व

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः इंसान के जीवन में परिवार महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। जीवन की हर परिस्थिति में परिवार हमारे साथ खड़ा रहता है। हमें हर प्रकार से मनोबल प्रदान करता है। घर के बड़े बुजुर्ग हमें अपने अनुभवों से जीवन में आगे बढ़ने, उन्नति करने व हर परिस्थिति में खुश रहने …

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22. सुनना भी एक कला है

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः कुछ लोग बहुत ज्यादा बातें करते हैं, वे दूसरों को बोलने का अवसर ही नहीं देते। उनको लगता है कि वो सर्वश्रेष्ठ हैं। वे जो कुछ भी कहते हैं वो ही सर्वोपरि होता है। ऐसे मनुष्य अपनी मर्यादा भूल जाते हैं। उन्हे इस बात से बिल्कुल भी फर्क नहीं …

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