Month: May 2021

165. ईश्वर हमारे साथ हैं।

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः महान आध्यात्मिक गुरु परमहंस योगानंद जी अपनी पुस्तक— “मानव की निरंतर खोज” में लिखते हैं— मानव “कुछ और” की निरंतर खोज में व्यस्त है। जिससे उसे आशा है कि उसके मिल जाने पर उसे संपूर्ण एवं असीम सुख मिल जाएगा। उन विशिष्ट आत्माओं के लिए, जिन्होंने ईश्वर को …

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164. प्रेम से करें, क्रोध को पराजित

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने के लिए मनुष्य हर समय संघर्ष करता रहता है, जिससे उसका सुख- चैन कहीं गुम हो जाता है। वह हर समय यही सोचता रहता है की मेरे पास और ज्यादा भौतिक वस्तुओं का भंडार हो और जब उसे वह मिल जाता है तो …

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163. पुण्य कर्म

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः पुण्य कर्मों का अर्थ केवल वे कर्म नहीं हैं, जिनसे हमें लाभ होता हो, अपितु वे कर्म हैं, जिनसे दूसरों का भला भी होता हो।पुण्य कर्मों को करने का उद्देश्य मरने के पश्चात् स्वर्ग प्राप्त करना ही नहीं, अपितु जीते जी जीवन को स्वर्ग बनाना भी है।स्वर्ग प्राप्त …

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162. ईश्वर की मौजूदगी

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः कोविड महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप धीरे-धीरे मंदा पड़ता जा रहा है, पर इसने देश के अंदर भय और पीड़ा का एक ऐसा मंजर छोड़ दिया है, जिसके निशान मिलना मुश्किल है। इस महामारी से बचने का अगर कोई कारगर तरीका है तो वह है, सिर्फ अपने …

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161. वास्तविक मूल्य

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आज के समय में मनुष्य का यह स्वभाव बन गया है कि— उसे जो वस्तु जितनी ज्यादा सहजता से उपलब्ध हो जाती है, वह उसका उतना ही कम मूल्य आंकता है। उसके दृष्टिकोण में किसी भी वस्तु का मूल्य उसके बाजार मूल्य से ही निर्धारित होता है। परंतु …

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160. प्राण ऊर्जा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने चारों तरफ हाहाकार मचा रखा है और अभी तीसरी लहर आनी शेष है। यह वायरस मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है। चारों तरफ मौत ने अपना आतंक फैला रखा है। आज हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, ऐसा वक्त …

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159. सुख की कुंजी

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः डब्ल्यू पी के किसेला के अनुसार— हम जो चाहते हैं, उसे पाना सफलता है। जो मिला है, उसे चाहना खुशी है। यकीनन संतोषी सोच से उपजी ऐसी खुशी और मन का ठहराव अच्छी सेहत, आत्मविश्वास और खुश मिजाजी की सौगात देने वाले होते हैं। हर हालात को संभालने …

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158 जीवन गति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन में गति का अपना विशेष महत्व है। गतिमान व्यक्ति ही जीवन में उन्नति की ओर बढ़ते रहते हैं। हम सब एक गति में चल रहे हैं। अगर इसके विरूद्ध जाएंगे तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा। हमें जो अमूल्य जीवन मिला है, उसका सदुपयोग करते हुए हमें …

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157. दुख में निहित है, सुख

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन में सभी मनुष्य सुख की कामना ही करते हैं। दुख तो कोई नहीं चाहता परंतु मनुष्य के चाहने या न चाहने से दुख नहीं आता। सुख और दुख तो हमारे कर्मों के अनुसार हमें प्राप्त होते हैं। हम जो कर्म करते हैं, उनके अनुसार हमें सुख और …

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156. विपत्तिकाल—आस्था

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आस्था एक ऐसी औषधि है जो मनुष्य को किसी भी विपत्ति से बचा सकती है। आस्थावान व्यक्ति हमेशा खुश रहता है क्योंकि उसे अपने ईश्वर परअटूट विश्वास होता है। वह अच्छी तरह से जानता है कि मेरे ईश्वर, मेरे साथ कभी बुरा नहीं कर सकते। इसलिए वह हमेशा …

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