158 जीवन गति

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

जीवन में गति का अपना विशेष महत्व है। गतिमान व्यक्ति ही जीवन में उन्नति की ओर बढ़ते रहते हैं। हम सब एक गति में चल रहे हैं। अगर इसके विरूद्ध जाएंगे तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा। हमें जो अमूल्य जीवन मिला है, उसका सदुपयोग करते हुए हमें प्रकृति के साथ तालमेल स्थापित करना चाहिए। यदि हम ऐसा कर पाए तो कुछ ही समय में बड़ा बदलाव नजर आने लगेगा। यदि हम सौ फीसद उस पर चले तो हम उन्नति की चरम सीमा को प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।

आपने अक्सर देखा होगा कि—जब बच्चे खेल में मस्त होते हैं तो उस समय उन्हें न तो भूख की चिंता होती है और न ही भविष्य की परवाह। अगर डांट भी दो तो अगले ही पल भूल जाते हैं। तितलियों को देखिए एक फूल से दूसरे फूल पर इठलाती फिरती हैं। उनका नुकसान नहीं करती बल्कि फूलों का निषेचन कर जाती हैं। उन्हें पता है की प्रकृति का नियम अपने स्वरूप में जीना है। हम सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। कोई किसी का नुकसान पहुंचाने के लिए यहां नहीं है। कबूतर को देखिए वह अपने लिए रखा दाना- पानी अपने समय से ही आकर खाता- पीता है। गाय जो धूप में खड़ी रहती है, अचानक अधिक धूप लगने पर वहीं किसी दूसरे छायादार वृक्ष के पास चली जाती है। इंसान हो या पशु- पक्षी सबको इसका आभास है, उसे क्या करना है?

नदियां इसीलिए पूज्यनीय हैं क्योंकि उनमें गति है। गति का यह गुण ही उन्हें अद्वितीय बनाता है। नदियों की निर्मलता, पवित्रता गति में व्याप्त है। अगर गति शुन्य हो गई तो नदियां दूषित हो जाएंगी। वायु यदि अपनी गति के गुण को छोड़ दे तो क्या होगा, कभी सोचा है। इसकी कल्पना ही डराने लगती है। हवा की गति ही उसे प्राणदायी बनाती है। सृष्टि का संचालन ही गति पर टिका हुआ है। अगर पृथ्वी अपनी गति छोड़ दे तो कितने भयंकर परिणाम आएंगे। यह किसी से छिपा हुआ नहीं है यानि सब कुछ नष्ट हो जाएगा। पृथ्वी का संपूर्ण सृजन उसकी गति पर निर्भर है। हमारा शरीर रक्त की गति से ही चल रहा है। रक्त की गति थम जाए तो क्या होगा, सब कुछ समाप्त हो जाएगा। ठीक इसी तरह से जीवन में गति न होने पर सब कुछ समाप्त होने का भय बना रहता है।

जीवन में आने वाली स्थिरता आपको जड़ बना देती है। इससे प्रगति पर विराम लगने लगता है। प्रगति अविराम हो, इसके लिए गति आवश्यक है। गति हमारे व्यक्तित्व को चेतनता प्रदान करती है। गति ही है जो हमारे जीवन को प्रखरता देती है। अगर विचारों में गति हो तो आपकी बुद्धि विलक्षण हो जाती है। आपका वर्चस्व बढ़ने लगता है। दुनिया आपकी बुद्धिमता को सराहने लगती है। गति यदि चिंतन में हो तो आप आध्यात्मिक वैभव को प्राप्त करने लगते हैं। गति यदि वाणी में हो तो आप एक अच्छे वक्ता हो जाते हैं। अगर गति सामाजिक सरोकारों में हो तो समाज में आपका रुतबा बढ़ जाता है। कोई भी क्षेत्र हो यदि आप गतिशील हैं तो सदैव मुख्यधारा में रहेंगें। आपका गतिशील जीवन ही आपके आत्मबल को ऊंचा रखता है। स्थिरता से जीवन में उदासी छाने लगती है। मन में हमेशा उदासी छाई रहती है और विचारों में नकारात्मकता उत्पन्न होने लगती है। सदैव जीवन में बहुत कुछ समाप्त होने का भय बना रहता है। इसलिए हमें जीवन में गति के महत्व को समझना चाहिए।

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