Month: June 2020

36. मानव जीवन

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः मानव का जन्म एक अद्भुत और अनोखे जीव के रूप में हुआ है। लेकिन समय के साथ वह कमजोरियों का शिकार होता जाता है। वह खुद में समाहित अदभुत शक्ति और अपार संभावनाओं के प्रति अविश्वास शुरू कर देता है। वह अपने जीवन में देखे गए सपनों को साकार …

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35. स्वयं की पहचान

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः उपनिषद के चार महावाक्यों में एक महावाक्य है- अहम ब्रह्मास्मि अर्थात “मैं ही ब्रह्म हूँ”। तात्पर्य यह है कि- इस मायावी संसार में मानव केवल ईश्वर की सबसे सुंदर कीर्ति ही नहीं है, बल्कि वह इस ब्रह्मांड में प्रत्यक्ष रूप से ब्रह्म्र का अंश है।ब्रह्म का स्वरूप  है। रामचरितमानस …

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34. मानव धर्म

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः मानव धर्म का आदर्श एवं इसकी पृष्ठभूमि अत्यंत ऊंची है, तथा इसके अनुसार जीवन जीने में मानव-जीवन की वास्तविकता निहित है। मानव धर्म, सभ्यता एवम संस्कृति की रीढ़ के सदृश है। इसके बिना सभ्यता एवं संस्कृति के विकास की कल्पना करना असंभव है। मानव धर्म की वास्तविकता एवं उपादेयता …

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