Month: August 2022

285. आंतरिक संघर्ष

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मानव की जीवन यात्रा संघर्षों से ही प्रारंभ होती है। मनुष्य के जन्म के पश्चात् संघर्ष शुरू हो जाते हैं और संघर्षों की यही यात्रा उसकी मृत्यु तक चलती रहती है। देखा जाए तो संघर्ष जीवन का पर्याय है। यह जीवन पर्यंत चलता ही रहता है। दूसरे शब्दों …

285. आंतरिक संघर्ष Read More »

284. ईश्वरीय कृपा की महत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः अनादि काल से यह चराचर सृष्टि उस निराकार परम सत्ता की न्यायप्रिय बागडोर से ही अधिशासित होती रही है। उनकी यह व्यवस्था बहुत ही सुव्यवस्थित है, जिसके कारण किसी भी जीव के साथ कोई अन्याय नहीं होता। फिर भी सभी को वह सब नहीं मिल पाता, जिसकी वे …

284. ईश्वरीय कृपा की महत्ता Read More »

283. शांति, मन की

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः शांति मनुष्य के जीवन में तभी हो सकती है, जब वह अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार की परिस्थितियों में सामंजस्य स्थापित कर लेता है। उस समय उसका मन-मष्तिस्क चिंता ग्रस्त एवं तनाव में नहीं रहता। चिंता से भागकर कभी नहीं बचा जा सकता परंतु यदि मानसिकता को बदला …

283. शांति, मन की Read More »

282. सत्यता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जिस प्रकार बीज की यात्रा वृक्ष तक है, नदी की यात्रा सागर तक है, जन्म की यात्रा मृत्यु तक है, उसी प्रकार मनुष्य की यात्रा परमात्मा तक है, यही सत्यता है। इसको कोई नकार नहीं सकता। यह सत्य है कि परमात्मा की निकटता पाने के लिए हमारे भीतर …

282. सत्यता Read More »

281. अहंकार का त्याग

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य अपने अहम् के कारण ही अहंकारी होता है। मैं और मेरे की भावना उसे और ज्यादा स्वार्थी बना देती है। अहंकार एक ऐसा अवगुण है जो किसी भी मनुष्य का पतन सुनिश्चित कर देता है। जहां अहंकार होता है, वहां पर सभी गुणों का लोप हो जाता …

281. अहंकार का त्याग Read More »

280. गुरु की गुरुत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः गुरु का वास्तविक अर्थ तो यही होता है कि— जो जीवन में गुरुता यानी वजन शक्ति बढ़ाए। यह गुरुता भौतिक पदार्थों से नहीं बल्कि सत- शास्त्रों के निरंतर अध्ययन और चिंतन मनन से ही संभव है। ईश्वरीय माया के वशीभूत मनुष्य को सांसारिक प्रपंच से निकालकर उसकी अंतरात्मा …

280. गुरु की गुरुत्ता Read More »

279. क्रोध के दुष्परिणाम

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः गीता में भगवान श्री कृष्ण स्वयं कहते हैं कि — क्रोध से अत्यंत मूढ़ भाव पैदा होता है क्योंकि इससे स्मृति भ्रमित हो जाती हैं और ज्ञान का नाश हो जाता है। ज्ञान का नाश होने से मनुष्य, मनुष्य नहीं रहता। वे काम, क्रोध और लोभ को नरक …

279. क्रोध के दुष्परिणाम Read More »

278. जीवन और इच्छाएं

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य अपने जीवन में अनेक चरित्र एक साथ निभाता हुआ अपने पथ पर अग्रसर होता है। घर में वह पारिवारिक संबंधों से जुड़ा होता है। घर के बाहर सामाजिक संबंध उसके सामने खड़े हो जाते हैं। इन संबंधों से जन्म लेती इच्छाएं उसकी मानसिक शांति को छिन्न -भिन्न …

278. जीवन और इच्छाएं Read More »

277. बढ़ाऐं कदम, कामयाबी की ओर

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हम जीवन में तभी कामयाब हो सकते हैं, जब हम किसी भी कार्य को पूरी निष्ठा के साथ करते हैं। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ करते हैं। लेकिन हम तो प्रत्येक कार्य को आसानी से करने की चेष्टा करते हैं। हम यह भली- भांति …

277. बढ़ाऐं कदम, कामयाबी की ओर Read More »

276. सुनें, आवाज मन की

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः वैसे देखा जाए तो मनुष्य को किसी भी कार्य के बारे में सोचने से पहले एक बार अपने अंतर्मन की आवाज को अवश्य सुनना चाहिए क्योंकि उसका अंतर्मन यह अच्छी तरह जानता है कि उसके लिए क्या ठीक रहेगा और क्या गलत। खासकर युवा जब अपने कैरियर की …

276. सुनें, आवाज मन की Read More »

Shopping Cart