Month: July 2022

271. आसक्ति से मुक्ति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आसक्ति एक मानसिक भाव है। यह एक लगाव है— उन वस्तुओं या व्यक्तियों से जिनके बिना उन्हें कुछ भी अच्छा न लगे। आसक्ति एक तरह का नशा है, नशे में व्यक्ति की जो मनोदशा होती है, वही आसक्ति में भी होती है। आसक्त हुए व्यक्ति को अच्छे-बुरे की …

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270. आहार का प्रभाव

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारे मनीषियों ने ‘योग के सिद्धांत’ में आहार को भी प्रमुखता से शामिल किया है। उनका कहना था कि मनुष्य के जीवन में उसके खान-पान का सीधा असर पड़ता है। वे जैसे आहार ग्रहण करते हैं, वैसे ही उनके विचार होते हैं। उनके अनुसार—” जैसा खावे अन्न, वैसा …

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269.अंत:करण की यात्रा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः प्रत्येक जीव के अंतःकरण में एक ज्योति है। अक्सर उसकी लौ शांत होती है। उस आत्मा रूपी ज्योति की लौ को प्रज्वलित करने के लिए जब हम तल्लीनता से उस परमात्मा का ध्यान अपने अंतःकरण में करते हैं, तभी वह ज्योति आलोकित हो पाती है। दरअसल जीव सदियों …

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268. मानव और चिंता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मानव का चिंताओं के साथ बहुत ही पुराना और गहरा नाता है। यह कहने में अतिश्योक्ति न होगी कि मानव जन्म के साथ ही चिंताएं भी पनपने लगती हैं। लेकिन कुछ चिंताओं से जीवन की दिशा अवरूद्ध हो जाती है तो कुछ चिंताएं आश्चर्यजनक रूप से उत्प्रेरक का …

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267. समर्पण

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः वानरों का बड़ा समूह दौड़-दौड़ कर बड़े- बड़े वृक्ष, बड़े-बड़े पत्थर समुद्र में लाकर फेंक रहा है। पवनसुत हनुमान जी, नल-नील, जामवंत, अंगद आदि सभी सिंधु पुल बांधने में सलंग्न है। किसी के पास भी थोड़ा- सा समय नहीं है। सभी दौड़- दौड़ कर ज्यादा से ज्यादा काम …

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