219. एकाग्रता की महत्ता

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

मन की एकाग्रता हमारी शक्ति की आधारशिला बनती है। यह जीवन की समस्त शक्तियों को समाहित कर मानसिक क्रांति उत्पन्न करती है। जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने में एकाग्रता की बहुत महत्ता है। आधुनिक विज्ञान की दृष्टि में एकाग्रता की महत्ता को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। हार्डवेयर यानी कठिन परिस्थितियां और सॉफ्टवेयर यानी सरल परिस्थितियां। दोनों से जैसे कंप्यूटर चलता है, वैसे ही जीवन का कंप्यूटर भी चलता है।

एकाग्र मन, भटकाव के शिकार मस्तिष्क की तुलना में अवसरों का अधिक लाभ उठा पाता है। एकाग्रता एक तरह से हमारी शक्तियों को जागृत कर मुश्किलों को हटाकर हमारे लिए मार्ग तैयार करती है। जिसका मन पूर्णरूपेण एकाग्र है, वही अपने लक्ष्य को साधने में समर्थ है। एकाग्रता में वह ऊर्जा होती है जो आवेश को शांत कर देती है। वास्तव में पूर्ण एकाग्रता ही सफलता की कुंजी है। जो लोग चित्त को चारों ओर बिखेर कर काम करते हैं, उन्हें इसकी क्षति बाद में पता चलती है।

कार्नेगी कहते हैं कि— नवयुवकों के व्यापार में असफल होने का एक बड़ा कारण यह है कि वे अपने मन को एकाग्र नहीं कर पाते। हर समय सभी चीजों का सही होना संभव नहीं है। यहां तक की सर्वोत्तम और शुभ इच्छाओं के साथ किए गए महानतम कार्यों में भी खामियां हो सकती हैं।

मन की बुरी प्रवृति हमारी भावनाओं और मन को अपूर्ण और नकारात्मक बना देती हैं। यदि आप एकाग्र होना चाहते हैं, तो मन को किसी भी प्रकार की नकारात्मकता के चक्रों से बाहर निकालना और भीतर से अछूते और मजबूत रहना होगा। यह दुनिया विपरीत मूल्यों के माध्यम से कार्य करती है। दरअसल आपके विचारों का सम्पूर्ण प्रवाह आपके आदर्श की ओर प्रवाहित होना चाहिए। उसके विपरीत या भिन्न दिशा में नहीं।

एकाग्रता और एकचित्तता से बड़े से बड़े व कठिन से कठिन कार्य पूरे किए जा सकते हैं। यदि आप विषम से विषम परिस्थिति में भी मन को लगातार एकाग्र करके संरचनात्मक स्थिति बनाए रख सकते हैं और अपने आदर्श की ओर बढ़ने में निरंतर संघर्ष करते रह सकते हैं तो समझ लीजिए कि आपके जीवन का लक्ष्य बहुत पास है।

स्वेट मार्डेन ने कहा है कि— जबरदस्त एकाग्रता के बिना कोई भी व्यक्ति आविष्कारक, दार्शनिक, लेखक, मौलिक कवि या शोधकर्ता नहीं हो सकता। यदि हम चाहें तो अपने उद्देश्य को मन ही मन में बार-बार दोहराते हुए, लगातार उस मकसद की पूर्ति का संकल्प करते हुए अपने मार्ग पर आगे बढ़ते रह सकते हैं और धीरे-धीरे उस मकसद के लिए कार्य करना हमारा स्वभाव बन सकता है। अगर हमने निराश होने की आदत बना ली है, तो आपको असफलता से कोई नहीं बचा सकता। सफलता पाने के लिए कितना ही संघर्ष क्यों न करें, अगर आप एक बार नकारात्मकता में फंस गए हैं तो आप अवश्य ही असफल होंगे। आप अपने स्वयं के प्रयास और एकाग्र मन की शक्ति की मदद से ही इससे बाहर निकल सकते हैं।

आपको अपने जीवन में मिलने वाले लोगों या परिस्थितियों को बदलने की कोशिश करने की बजाय अपनी धारणाओं को बदलने की जरूरत है। लोगों को अपूर्ण होने का अधिकार है, उन्हें सही करना आपका काम नहीं है। यदि आप एकाग्रता रूपी चोले को धारण करके अपने कार्य में सफलता प्राप्त करते जा रहे हैं तो यह स्वाभाविक है कि आपको प्रशंसा मिलेगी लेकिन अगर आप जरा से भी लड़खड़ाये तो आपको निन्दा का भागी भी होना पड़ेगा।

एकाग्रता के बगैर कोई भी कार्य सिद्ध नहीं हो सकता। धनुर्धर अपने लक्ष्य को नहीं साध सकता, विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सकता, बगुला मछली नहीं पकड़ सकता, बाज अपने शिकार को हासिल नहीं कर सकता। कहने का अभिप्राय है कि जीवन के हर क्षेत्र में एकाग्रता की महत्ता परम आवश्यक है।

जर्मन महाकवि गेटे ने कहा है कि—जहां भी तू है, पूरी तरह वहीं रह। यह एक महामंत्र है। जिसका आशय है कि एक समय में सिर्फ एक काम को करो। जो काम हाथ में है उसमें अपने समस्त व्यक्तित्व को केंद्रित करो। परिणाम क्या होगा? यह मत सोचो। काम खत्म होने का परिणाम चाहे कुछ भी हो, पश्चाताप मत करो।

एक कहानी जहन में आती है— सफलता न मिलने के कारण एक लड़की पुल पर से नदी में कूद गई। उसे बचाने के लिए एक लड़का भी नदी में कूद गया जो तैरना नहीं जानता था। इस पूरे घटनाक्रम में जब लड़की ने देखा कि जीवन पाने के लिए वह लड़का पानी में संघर्ष कर रहा है, तब उसकी आंख खुल गई। उस लड़की ने न सिर्फ अपनी बल्कि लड़के की भी जान बचाई। इस घटना के बाद उस लड़की ने अथक प्रयास किया और अपना लक्ष्य पाया।

सफलता प्राप्त कर लेने के बाद जब उस लड़की से इसका राज पूछा गया तो उसने बड़ी गंभीरता से जवाब दिया— एकाग्रता।
उसने बड़ी आत्मीयता से अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा कि मैंने पहले भी सफल होने के पूरे प्रयास किए थे लेकिन मैं सफल नहीं हो पाई क्योंकि मेरे अंदर एकाग्रता की कमी थी। मैंने पूरी तरह एकाग्र होकर अपना कार्य किया और सफलता मेरे कदम चूमने लगी।

किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा धन समय होता है। उसकी सफलता समय के इस्तेमाल पर निर्भर करती है। सभी सफल लोगों ने समय का सदुपयोग कर अपने लक्ष्य को एकाग्रता के साथ पाया। मैडिनो विदेशी लेखकों में सबसे आगे हैं। जब से उन्हें एकाग्रता को धारण किया वे प्रभावी वक्ताओं में से एक रहे। उनके जादुई शब्दों से प्रभावित होकर कई लोगों ने अपनी जिंदगी संवारी। जिस प्रकार एक विशालकाय हाथी शक्कर के दानों को उठा नहीं सकता, उसी प्रकार कोई भी व्यक्ति बगैर एकाग्रता के अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता।

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