Month: February 2021

94. कर्म फल

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः प्रत्येक मनुष्य की यह शिकायत रहती है कि— हमारे साथ ही ऐसा क्यों हुआ? हमने ऐसे कौन से बुरे कर्म कर रखे हैं, जो हमारे साथ ही हमेशा गलत होता है। श्रीमद्भागवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि— जैसा कर्म करोगे, वैसा ही फल प्राप्त …

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93. आत्मविश्वास से पाएं सफलता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सफल होना सबकी चाहत होती है। व्यक्ति जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है, वैसे- वैसे उसकी कल्पनाओं को पंख लगते जाते हैं। जिन युवाओं को सही मार्गदर्शन नहीं मिलता वे अपने पथ से भटक जाते हैं। उनके जीवन में निराशा रूपी अंधकार के बादल छा जाते हैं, जिससे उनके …

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92. अहितकारी ईर्ष्या

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जब हम किसी कार्य में असफल हो जाते हैं और हम देखते हैं कि कोई हमारा जानने वाला, सफलता हासिल कर लेता है तो हमारे मस्तिष्क में ईर्ष्या के भाव पनपने लगते हैं। ईर्ष्या हमेशा अहितकारी ही होती है, कोई बिरला ही होगा जिसने ईर्ष्या करके अपने जीवन …

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91. सद्- संकल्प

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जिस प्रकार अभिमान करना पाप है, बंधन है। उसी प्रकार स्वयं को दीन-हीन समझना भी पाप है, बंधन है। अक्सर माता-पिता अपने बच्चों के लिए अपमानजनक और हीनतासूचक भाषा का उपयोग करते रहते हैं। यह सही नहीं है। ऐसे में उनके कोमल हृदय में एक टीस पैदा होती …

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90. संबंधों का मायाजाल

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः परमात्मा का संबंध हर जीव से, बच्चे की तरह है। जिस प्रकार मां को अपने हर बच्चे की भूख-प्यास, दुख-सुख, का अहसास हो जाता है, उसी प्रकार परमात्मा को भी अपने हर जीव का पता रहता है। क्योंकि परमात्मा ही हर जीव को जन्म देता है, उसकी हर …

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