45.दोषपूर्ण उपलब्धियां

श्री गणेशाय नम्ः श्री श्याम देवाय नम्: जीवन में ज्यादातर मनुष्यों का एक स्वप्न होता है, कि उनके पास प्रचुर मात्रा में धन-दौलत हो ताकि वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का वरण करते हुए आकाश की उंचाईयों को छूए। उनका उच्च स्तरीय रहन-सहन हो, ऐसो – आराम के सारे साधन उपलब्ध हों, नौकर …

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44. सुख-दुख

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मानव जीवन रूपी उतार-चढ़ाव में, धुप और छांव की तरह सुख और दुख आते जाते रहते हैं। क्योंकि उतार-चढ़ाव जीवन का आधारभूत नियम है। शायद दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति हुआ हो, जिसके जीवन में सुख-दुख न हों। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि— सुख-दुख जीवन में …

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43. मानव चरित्र

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मानव के चरित्र का उसके व्यक्तित्व निर्माण में सबसे बड़ा योगदान होता है। एक चरित्रवान व्यक्ति ही समाज और देश के उत्थान में अपना योगदान देकर, उसे विश्व में सर्वोपरि स्थान दिलवाने का माद्दा रखता है। यज्ञ की समिधा की तरह ही सुंदर चरित्र की खुशबू चारों ओर …

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42. अध्यात्म और वैराग्य

श्री गणेशाय नम्ः श्री श्याम देवाय नमः अध्यात्म और वैराग्य एक दूसरे से भिन्न हैं। अध्यात्म से अभिप्राय ईश्वर को पाने के लिए साधना करने से है। लेकिन वैराग्य से अभिप्राय सांसारिक त्याग से है। वैराग्य धारण करने वाले मनुष्य का नजरिया ये है कि— यदि हम संसार का त्याग कर देते हैं, तो हमें …

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41. समय का महत्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारे जीवन रूपी चक्र में समय का अमूल्य योगदान है। जीवन की परिभाषा ही समय से है, क्योंकि जीवन समय से ही बनता है। समय का सदुपयोग जीवन को सार्थक और सफल बना देता है। दूसरी तरफ समय का दुरुपयोग जीवन को नर्क बना देता है। समय किसी …

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40. जीवन मंथन

श्री गणेशाय नम्ः श्री श्याम देवाय नम्ः प्रत्येक मनुष्य कर्मों के अनुसार ही अपनी मनोवृत्ति एवं फल को प्राप्त करता है। कर्मों के अनुसार ही उसके भाग्य का निर्माण होता है। सृष्टिकर्त्ता ने सभी प्राणियों को उनके कर्मों के अनुसार शरीर दिए हैं। उसकी रचना को बिगाड़ने या मिटा देने का हमें कोई अधिकार नहीं …

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39. कर्म मार्ग

हमारे जीवन में कर्म की बड़ी महत्ता है। कर्म ही जीवन का आधार है। कर्म ही सृष्टि का आधार है। कर्म हमारे जीवन की वह नींव है, जिससे हमारे भाग्य कर निर्धारण होता है। कर्म के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। फिर कर्म किए बिना कोई कैसे रह सकता है?स्वयं श्री …

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38. वाणी का महत्व

वाणी व्यक्तित्व का आभूषण है। वाणी से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान होती है। मधुर वाणी हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। छोटे से छोटे व बड़े से बड़े कार्य जो बड़े-बड़े सूरमा भी नहीं कर पाते, वे केवल वाणी के माधुर्य से संपन्न हो जाते हैं। मधुर वाणी का …

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37. मन्: स्थिति

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः दया, क्षमा, परोपकार और दान- ये हमारी मन की सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया है। सहज वह है जिसे समझने अथवा प्राप्त करने के लिए, किसी विशेष प्रयास की जरूरत नहीं पड़ती। ईश्वर ने हमारे शरीर के अंगों और मन की संरचना इस प्रकार से की है कि यदि वे …

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36. मानव जीवन

ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः मानव का जन्म एक अद्भुत और अनोखे जीव के रूप में हुआ है। लेकिन समय के साथ वह कमजोरियों का शिकार होता जाता है। वह खुद में समाहित अदभुत शक्ति और अपार संभावनाओं के प्रति अविश्वास शुरू कर देता है। वह अपने जीवन में देखे गए सपनों को साकार …

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