35. स्वयं की पहचान
ऊँश्री गणेशाय नम्ःश्री श्याम देवाय नम्ः उपनिषद के चार महावाक्यों में एक महावाक्य है- अहम ब्रह्मास्मि अर्थात “मैं ही ब्रह्म हूँ”। तात्पर्य यह है कि- इस मायावी संसार में मानव केवल ईश्वर की सबसे सुंदर कीर्ति ही नहीं है, बल्कि वह इस ब्रह्मांड में प्रत्यक्ष रूप से ब्रह्म्र का अंश है।ब्रह्म का स्वरूप है। रामचरितमानस …