श्री गणेशाय नमः
श्री श्याम देवाय नमः
स्वास्तिक के टोटके या उपाय—
स्वास्तिक और वास्तु—
वास्तु शास्त्र में स्वास्तिक को वास्तु का प्रतीक माना जाता है। घर के वास्तु को ठीक करने के लिए वास्तु का प्रयोग किया जाता है। इसकी बनावट ऐसी होती है कि यह हर दिशा में एक समान दिखाई देता है।
घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर अष्ट धातु और ऊपर मध्य में तांबे का स्वास्तिक लगाने से सभी प्रकार का वास्तु दोष दूर हो जाता है।
पंच धातु का स्वास्तिक बनवा कर प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद चौखट पर लगवाने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।
चांदी का स्वास्तिक बनवा कर उसमें नवरत्न लगवाकर पूर्व दिशा में लगाने पर वास्तु दोष दूर होकर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
वास्तु दोष दूर करने के लिए— 9 अंगुल लंबा और चौड़ा स्वास्तिक सिंदूर से बनाने से नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मकता में बदल जाती है।
मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में स्वास्तिक—
धार्मिक कार्यों में रोली, हल्दी या सिंदूर से बना स्वास्तिक आत्मसंतुष्टि देता है।
त्योहारों पर द्वार के बाहर रंगोली के साथ कुमकुम, सिंदूर या रंगोली से बनाया गया स्वास्तिक मंगलकारी होता है। इसे बनाने से देवी और देवता घर में प्रवेश करते हैं। गुरु पुष्य या रवि पुष्य में बनाया गया स्वास्तिक शांति प्रदान करता है।
व्यापार में वृद्धि—
यदि आपके व्यापार या दुकान में बिक्री नहीं बढ़ रही है तो सात (7)गुरुवार को ईशान कोण को गंगाजल से धोकर वहां सूखी हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और उस की पंचापचार पूजा करें। इसके बाद वहां आधा तोला गुड़ का भोग लगाएं। इस उपाय से लाभ मिलेगा। कार्यस्थल पर उत्तर दिशा में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से भी बहुत लाभ प्राप्त होता है।
देवता को प्रसन्न करने के लिए—
स्वास्तिक बनाकर उसके ऊपर जिस भी देवता की मूर्ति रखी जाती है, वह तुरंत प्रसन्न होता है। यदि आप अपने घर में अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं तो उस स्थान पर उनके आसन के ऊपर स्वास्तिक जरूर बनाएं।
मनोकामना पूर्ण करने के लिए—
देवस्थान पर स्वास्तिक बनाकर उसके ऊपर पंच धान्य या दीपक जलाकर रखने से कुछ ही समय में इच्छित कार्य पूर्ण होता है। इसके अलावा मनोकामना सिद्धि हेतु मंदिर में गोबर या कंकू से उल्टा स्वास्तिक बनाया जाता है। फिर जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वहीं जाकर सीधा स्वास्तिक बनाया जाता है।
सुख की नींद सोने के लिए—
यदि आप रात में बेचैन रहते हैं, नींद नहीं आती या बुरे-बुरे सपने आते हैं तो सोने से पूर्व स्वास्तिक को तर्जनी से बना कर सो जाएं।
संज्ञा बनाते समय स्वास्तिक —
पितृपक्ष में बालिकाएं संज्ञा बनाते समय गोबर से स्वास्तिक बनाती हैं। इससे घर में सुख शांति और समृद्धि आती है और पितरों की कृपा भी होती है।
धन लाभ प्राप्ति में —
प्रतिदिन सुबह उठकर विश्वास पूर्वक यह विचार करें कि लक्ष्मी आने वाली है। इसके लिए घर को साफ सुथरा करें और स्नानादि से निवृत्त होने के बाद सुगंधित वातावरण कर दें। फिर भगवान का पूजन करने के बाद अंत में देहली की पूजा करें। बाद में देहली के दोनों और स्वास्तिक बनाकर उसकी पूजा करें। स्वास्तिक के ऊपर चावल की एक ढेरी बनाएं और एक-एक सुपारी पर कलेवा बांधकर उसको ढेरी के ऊपर रख दें। इससे धन की प्राप्ति होगी।
लाल और पीले रंग का स्वास्तिक बेहद शुभ होता है—
ईशान या उत्तर दिशा की दीवार पर पीले रंग का स्वास्तिक बनाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। यदि कोई मांगलिक कार्य करने जा रहे हैं तो लाल रंग का स्वास्तिक बनाएं।इसके लिए केसर, सिंदूर, रोली और कुमकुम का इस्तेमाल करें।
काला स्वास्तिक—
जिस प्रकार लाल रंग का स्वास्तिक चिन्ह घर की खुशहाली का घोतक है, ठीक उसी प्रकार कोयले से बना काला स्वास्तिक बुरी नजर और बुरे समय को दूर करने के लिए बेहद ही उपयोगी और अचूक उपाय माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार भूत -प्रेत अर्थात् शमशानी शक्तियों से घर को मुक्त रखने के लिए बेहद उपयोगी होता है। क्योंकि यह उन बुरी शक्तियों को अपने वश में कर लेता है। यदि आपके घर-परिवार के सदस्यों पर या आपके व्यवसाय को किसी की बुरी नजर लग गई है तो इस बुरी नजर के कुप्रभाव से बचने के लिए अपने घर के मुख्य द्वार पर कोयले से स्वास्तिक का चिन्ह बना लें। मुख्य द्वार की दीवार पर काले स्वास्तिक के चिन्ह को बनाने से आपके घर पर किसी भी व्यक्ति की बुरी नजर का प्रभाव नहीं होगा।
Jai shree shyam meri jaan meri gindagi mera shree shyam