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श्री गणेशाय नम्ः
श्री श्याम देवाय नम्ः
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोरोना वायरस की वजह से जीवन असाधारण रूप से उलझ गया है। परिवेश में फैली गलत सूचनाओं और अफवाहों का बाजार गर्म होने की वजह से दहशत का माहौल बना हुआ है। ऐसे में हमें अपनी मानसिक शक्ति और संयम का साथ नहीं छोड़ना है। यह सच है कि चारों ओर बिखराव और जटिलताओं के कारण मानसिक शक्तियों का ह्रास हो रहा है। हमें अपने चारों तरफ घटित हो रही समस्त घटनाओं को निष्पक्ष और सजग होकर देखना होगा। इनसे बचने का सरल उपाय है, इन्हें फिल्टर करते रहना। कोई भी सूचना आने से पहले देखें कि वह कहां से आई है और उसे भेजने का कारण क्या हैॽ
आज जब कोरोना की दहशत तेजी से फैल रही है, तो मानसिक शक्ति सबसे अधिक कारगर है। हमारी स्वयं की मानसिक शक्तियां हमें इतना संबल प्रदान करती हैं, कि हम जीवन में आने वाली कठिनाइयों में शांत व सहज मन से सयंम धारण करते हुए, सकारात्मक विचार, अध्ययन, कर्म योग, ज्ञान योग, अभिवृत्ति,ध्यान प्रक्रिया, चिंता एवं मनन के माध्यम से नूतन शक्तियों का संचार अविरल करते रहें।कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जटिल स्थितियों में किया गया संघर्ष हमें उत्तम मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा दे जाता है। मानसिक शक्तियों को श्रेष्ठ, विकसित दिशा प्रदान करने में सकारात्मक विचार एवं विश्वास की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जटिल परिस्थितियों से निकलने की उत्कंठा हमारे मन में नवीन आयामों, विचारों एवं लक्ष्यों का सृजन करती हैं। क्योंकि मस्तिष्क का उत्कृष्ट, परिष्कृत व विकसित अस्तित्व हमारे व्यक्तित्व को सफलता, सकारात्मक सोच व प्रसन्नता का उपहार देकर सुखी, सहज और प्रभावशाली बनाता है। मानसिक शक्ति शरीर का वह अतुलनीय शक्तिपुंज है जो प्रतिपल प्रदर्शित होता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जर्नल नेचर न्यूरोसाइंस के अनुसार जब हम पैनिक यानी भयाक्रांत होते हैं, तो दिमाग एक प्रकार से आर्डर मेकिंग सेंटर बन जाता है। हमारा दिमाग बस निर्देश देने लगता है, जो डर को बढ़ाने वाला होता है। वह तर्क करना भूलने लगता है। यूनिवर्सिटी आफ पिट्सबर्ग के एक शोध में न्यूरोसाइंटिस्ट ने पाया कि जब कोई व्यक्ति पैनिक होता है, तो दिमाग में डिसीजन मेकिंग के लिए जिम्मेदार प्रि-फ्रंटल कार्टेक्स प्रभावित होता है।
जरूरी है कि हम वास्तविकता को समझें कि अधिक पैनिक होकर खुद का ही नुकसान होता है।
मनु तिवारी, मनोचिकित्सक
हम दिमाग को जो फीड करते हैं, वह वही हमारे सामने रखता है। हम दिमाग के नियंत्रण में नहीं, बल्कि दिमाग की डोर हमारे हाथ होती है।
डॉक्टर पंकज कुमार झा, न्यूरोसर्जन
वस्तुतः हमारी मानसिक शक्तियां अतुलित और दिव्य हैं। आज प्रमुख आवश्यकता अपनी मानसिक क्षमताओं को पहचानने, समझने, उन्नत करने व उनका समुचित उपयोग करते हुए संयम धारण करने की है। आज जब पूरे विश्व में कोरोना वायरस की दहशत के काले बादल मंडरा रहे हैं, तो हमें अपनी मानसिक शक्तियों की परीक्षा देने के लिए तैयार रहना चाहिए। युद्ध हर बार अस्त्र-शस्त्र से नहीं लड़ा जाता। कई बार मानसिक ताकते युद्ध लड़ने का कारण बनती है। इसका एक उदाहरण हमें महाभारत युद्ध में मिलता है, जब स्वयं श्रीकृष्ण अपनी सेना को अस्त्र-शस्त्र त्याग कर अपने मन से युद्ध लड़ने का आदेश देते हैं। महाभारत युद्ध में अपने पिता द्रोणाचार्य के धोखे से मारे जाने पर अश्वत्थामा बहुत क्रोधित हो गए, उन्होंने पांडव सेना पर एक बहुत ही भयानक अस्त्र “नारायण-अस्त्र” छोड़ दिया। इसका कोई भी काट नहीं था। यह जिन लोगों के हाथ में हथियार हों और लड़ने के लिए कोशिश करते दिखें उन पर अग्नि बरसाता था और तुरंत नष्ट कर देता था। भगवान श्री कृष्ण ने सेना को अपने-अपने, अस्त्र-शस्त्र छोड़ कर चुपचाप हाथ जोड़कर खड़े रहने का आदेश दिया और कहा मन में युद्ध करने का विचार भी ना लाए, अगर किसी भी सैनिक के मन में युद्ध से संबंधित कोई भी विचार आया तो यह उन्हें पहचान कर नष्ट कर देगा। यह वह अस्त्र है, जिसका और कोई काट नहीं है, इसलिए डरिए मत हौंसला बना कर रखिए और अपने मन में शुद्ध विचारों को रोपित कीजिए। नारायण अस्त्र धीरे-धीरे अपना समय समाप्त होने पर स्वयं शांत हो जाएगा। इस तरह श्री कृष्ण के मार्गदर्शन से पांडव सेना की रक्षा हो गई। हर जगह लड़ाई सफल नहीं होती। प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए हमें भी कुछ समय के लिए सारे काम छोड़ कर चुपचाप हाथ जोड़ कर मन में सुविचार रख कर एक जगह बैठ जाना चाहिए। तभी हम कोरोना जैसे वायरस के कहर से बच पाएंगे। क्योंकि जिस प्रकार नारायण अस्त्र का समय था, उसी प्रकार इस कोरोना वायरस के संक्रमण फेलने का कुछ समय है। वह समय अवधि पूरी हो जाने पर यह स्वयं शांत हो जाएगा। आज का समय हमारी मानसिक शक्तियों और सयंम की परीक्षा का है। हमें अपनी इस परीक्षा में शत-प्रतिशत सफलता प्राप्त करनी है। इसलिए अपनी मानसिक शक्तियों का सदैव सही प्रतिनिधित्व करें। उसमें अभिनव विकास, ऊर्जा, उत्साह का निरंतर प्रभाह बनाएं रखें, ताकि अंतर्मन में अदम्य,अद्भुत, उमंग व उत्साह की धारा अविरल बहती रहे। खुद को हर समय याद दिलाते रहें, कि किसी भी परिस्थिति में घबराना नहीं है। समय चाहे कितना भी जटिल क्यों न हो, हमें संयम रखना है। खुद के प्रति कड़ा रुख अपनाएं और अफवाहों से दूर रहें।