Month: December 2020

55. सद्-बुद्धि और दुर्बुद्धि

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः भक्ति की प्रगाढ़ता जब अपनी चरम-सीमा पर होती है, तो परमात्मा वरदान के रूप में भक्त को सद्बुद्धि के रूप में देवी संपदा प्रदान करते हैं। जिससे उसे नाना प्रकार के लौकिक सुख, संपत्ति, धन-दौलत, यश-कीर्ति, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। वहीं ईश्वर के प्रति नास्तिकता का भाव …

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54. धैर्य से मिलते हैं—ज्ञान और शांति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्यों को आज सबसे अधिक आवश्यकता धैर्य की है। लोग सफल होने के बाद अशांत हो जाते हैं और शांति की तलाश करते हैं। शांति की तलाश में निकलने से पहले धैर्य, सहनशीलता के गुण हमें अपने अंदर विकसित करने होंगे। ज्यादातर लोगों की जिंदगी में इन दिनों …

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53. हो मन का प्रबंधन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारे मन की भावनाएं और विचार हमारे व्यक्तित्व को एक आकार देते हैं। यह बात आधुनिक विज्ञान की ही स्थापना नहीं, बल्कि हमारे वैदिक शास्त्रों द्वारा उद्घाटित सत्य है। मनुष्य अपनी पूरी जिंदगी में कुछ ऐसे काम करता है कि “उसने ऐसा क्यों किया” यह जानने में विज्ञान …

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52. ईश्वर की व्यवस्था

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हम सभी परमपिता परमात्मा के पुत्र हैं। वे सभी पुत्रों को समान रूप से चाहते हैं, पर वे जिन्हें योग्य विश्वसनीय और ईमानदार समझते हैं, उन्हें अपनी राजशक्ति का कुछ अंश इसलिए सौंप देते हैं कि वे उसके ईश्वरीय उद्देश्यों की पूर्ति में हाथ बटाएं। दूसरे शब्दों में …

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51. विचारों की परिवर्तनशीलता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः इंग्लैंड के प्रधानमंत्री एवं प्रसिद्ध इतिहासकार विंस्टन चर्चिल का एक महत्वपूर्ण कथन है—”नजरिया एक छोटी-सी चीज है, जो बड़ा परिवर्तन लाती है।” सही नजरिया धारण करना नकारात्मक तनाव को सकारात्मकता में परिवर्तित कर सकता है। जीवन नजरिए का नाम है, अनगिनत खुशियां दूसरों के साथ बांटने में ही …

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50. असंभव से संभव

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः कभी आपने सोचा है कि आपके जीवन को सबसे अलग क्या बनाता है? वह है असंभव से लगने वाले कार्य को संभव बनाना और यह कार्य करता है, आपका विश्वास तंत्र (बिलीफ सिस्टम) जो विशेष रूप से आपके खुद के विचारों से नियंत्रित होता है। जीवन में आपकी …

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49. शंकाग्रसित मन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मानव मन हमेशा शंकाग्रसित रहता है। यदि मन में तनिक भी शंका आ जाए और हम अपने मन और बुद्धि की धार बनाए नहीं रख सकते, तो सफल नहीं हो सकते। इस स्पर्धात्मक संसार में, जो थोड़ा भी शंकाग्रसित रहता है, पिछे धकेल दिया जाता है। ज्यादातर लोग …

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