August 2022

275. परखें अपनी प्रतिभा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः प्रत्येक व्यक्ति में कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होती है, जो इसे पहचान लेता है, वह खुद को उसी मार्ग पर ले जाने का भरपूर प्रयत्न करता है। पर हमारे में से बहुत सारे लोग अपनी पसंद, अपने भीतर छिपी प्रतिभा को पहचान ही नहीं पाते। जिसका परिणाम […]

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274. दोहरा व्यक्तित्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य के अंतःकरण में और बाहरी व्यवहार में जब विचारों का सामंजस्य स्थापित होने में अवरोध उत्पन्न होता है, तो यह दोहरे व्यक्तित्व की स्थिति होती है। मनुष्य समाज में अपने आप को दूसरों से सर्वश्रेष्ठ दिखाने के लिए दोहरे व्यक्तित्व का सहारा लेता है। जिंदगी की रेस

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273. क्रोध

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः “कामात् जायते क्रोध:” जब अपने मनोवांछित कार्य पूर्ति की इच्छाओं में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न होती है, तो उस समय क्रोध उत्पन्न होता है।जिसके मूल में लोभ होता है। कामादि विकारों को तो छिपाया जा सकता है, परंतु क्रोध को छिपाना सम्भव नहीं है। क्रोधाविष्ट व्यक्ति

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272. स्वयं से संघर्ष

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हम अपने जीवन में अक्सर छोटी-छोटी बातों या घटनाओं को प्रतिष्ठा का विषय बना लेते हैं और एक दूसरे के साथ लड़ते- झगड़ते रहते हैं। इस प्रकार बेवजह की लड़ाई कई बार बड़ा रूप ले लेती है। छोटी-छोटी बातें अक्सर विनाश का कारण बन जाती हैं। दूसरों से

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