श्री गणेशाय नमः
श्री श्याम देवाय नमः
एक कहावत है कि— वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा कुछ नहीं मिलता। किस्मत की डोर तो कर्म के हाथों में बंधी होती है। आप जैसे कर्म करते हैं, वैसा ही फल आपको किस्मत के रूप में प्राप्त होता है। परंतु समय से पूर्व अभीष्ट की पूर्ति न होने की बात जीवन के मूल मंत्र को जरुर समेटे हुए है। इसका अभिप्राय यही है कि— हर उद्देश्य की प्राप्ति बस यूं ही सोच भर लेने से नहीं हो जाती। ऐसा कभी नहीं होता कि जो हम सोचते हैं, वह तुरंत पूरा हो जाए।
कहा भी जाता है कि— हथेली पर सरसों हरी नहीं होती। आज बीज बोकर कल उससे फल प्राप्त हो जाएंगे, ऐसी उम्मीद करना भी बेमानी है। आप चाहे खाद और पानी से बीज को कितना भी सींचें उससे फल तो समय के अनुसार ही प्राप्त होगा। हर वस्तु को परिपक्व होने के लिए एक तय प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। एक मंझा हुआ खिलाड़ी ही खेल को जीत सकता है। यह कुशलता उसने एक दिन में प्राप्त नहीं की। वर्षों की मेहनत और धैर्य उसे जीत के योग्य बनाते हैं। एक अंडे से चूजे को भी निकालने के लिए पहले उसे कुछ दिनों तक सेना पड़ता है, तब जाकर उसमें से चूजा बाहर निकलता है। अगर हम अंडे को देखते ही यही सोचें कि अब चूजा बाहर निकल आएगा तो यह संभव नहीं है। इसके लिए उचित कर्म करना पड़ता है और कर्म के साथ-साथ धैर्य और उचित दिशा की भी जरूरत होती है।
सांसारिक जीवन में मनुष्य तमाम आकर्षणों के चलते अनेक गलतियां करता है। क्योंकि सृष्टि में अंधकार और प्रकाश दोनों व्याप्त हैं। अगर नकारात्मकता, विषमता, कठिन परिस्थितियां अंधेरी रात के समान हैं तो कर्मठता, सदाचार, विवेक, ज्ञान, प्रेम, सद्भाव आदि ऐसे मार्ग हैं, जिन पर चलने से जीवन प्रकाशित हो जाता है। जीवन में कठिनाइयों का अंधेरा यदि आ भी जाए तो उसका धैर्य पूर्वक सामना करने से साहस का प्रकाश मिलता है। अंधकार का भी अस्तित्व है। इसका आलिंगन करो, प्रेम करो। अंधकार तुम्हें स्वयं के केंद्र में ले जाएगा। तुम उस पर सवार होकर स्वयं के बारे में कुछ नई बातें भी जान सकते हो जो तुम पहले नहीं जानते थे। अस्तित्व में केवल रात ही नहीं है, दिन भी है।
कोई भी मनुष्य यदि धैर्यपूर्वक अंधेरे का सामना करता है तो अगली सुबह उसके हृदय के अनजाने स्रोत से प्रसन्नता की रसधारा बहने लगेगी। यह अंजाना स्रोत ही दिव्यता है। प्रकाश का संकेत है। इसे तुम भी अर्जित कर सकते हो। जीवन का सामना करो, मुकाबला करो, डटकर खड़े हो जाओ। मुश्किल क्षण भी होंगे, पर एक दिन तुम देखोगे की उन मुश्किल क्षणों ने भी तुमको अधिक शक्ति दी क्योंकि तुमने उनका सामना करने का सामर्थ्य प्राप्त हुआ। यह सच है की मुश्किल क्षणों से गुजरना कठिन है, पर वे ही तुम्हें समर्थ बनाते हैं। अगर तुम्हें पीड़ा, दुख, तकलीफ भी मिलें तो उसको स्वीकार कीजिए क्योंकि यही पीड़ा तुम्हें जीवन का मर्म समझने में समर्थ बनाती है। यह तुम्हारे जीवन में प्रसन्नता भर देती है।
धैर्य से सफलता की सीढ़ियां चढ़ना और साथ में कर्म की उंगली पकड़ कर सही दिशा में आगे बढ़ते जाना ही हमें लक्ष्य तक पहुंचाता है। हड़बड़ी का साथ पकड़ने से हमारे हाथ से बहुत कुछ पीछे छूट जाता है। धैर्य हमें संयम सिखाता है। संयमित होने से हमारा दृष्टिकोण व्यापक होता है, जिससे हम सही गलत का चुनाव कर सकते हैं।