Sunita Rani

181. जीवन मंत्र

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः संसार में सभी तरह के मनुष्य निवास करते हैं, उनमें कोई सज्जन प्रवृत्ति का होता है तो कोई दुर्जन प्रवृत्ति का। संत महापुरुष उनको हमेशा एक ही दृष्टि से देखते हैं। समाज में सदैव यही उपदेश देते हैं की सबको एक- दूसरे के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। […]

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180. सच्चा भक्त

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि— एक सच्चा भक्त सबकी भलाई के बारे में सोचता है और सभी से सहानुभूति रखता है, परंतु उसकी प्रीति की तार केवल परमात्मा के साथ जुड़ी होती है। वह अपने शत्रु के साथ भी वैर भाव नहीं रखता। संसार से उदासीन रहता

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179. संगति का प्रभाव

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः संगति का मानव जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। हम अक्सर देखते हैं कि हमारे चाहने वाले या दोस्त अगर शांत प्रवृत्ति के हैं तो हम भी उन जैसे ही हो जाते हैं अर्थात् धीरे-धीरे हमारे अंदर भी उस गुण की प्रधानता स्पष्ट दिखाई देने लगती है। अगर

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178. आनंद पूर्वक जीवन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आनंद का शाब्दिक अर्थ होता है— सच्चा सुख या सच्ची खुशी। प्रत्येक मनुष्य की यह जिज्ञासा रहती है कि— वह आनंद पूर्वक जीवन व्यतीत करे। आनंद पूर्वक जीवन जीने की इच्छा उसके मन में प्रबल रूप से विद्यमान रहती है और इसके लिए वह दिन- रात भागदौड़ करता

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177. कल्याणकारी मार्ग

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मानवीय शरीर बड़ा दुर्लभ है, परंतु है यह अस्थाई एवं नश्वर। इसे एक दिन अवश्य मिट जाना है। बुद्धिमान मनुष्य वही है जो इस नश्वर शरीर से ईश्वर का स्मरण करता हुआ कल्याण के मार्ग पर अग्रसर होता है। आज के समय संसार में चारों तरफ भौतिकता, विषय-

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176. सेवा भाव

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः एक कहावत है— “सेवा स्वयं में पुरस्कार है” जो खुशी और आनंद की प्राप्ति हमें दूसरों की सेवा से मिलती है, उसे लाखों रुपए खर्च करके भी नहीं पाया जा सकता। ईश्वर ने मनुष्य को सेवा भाव से परिपूर्ण बनाया है। आज कोरोना वायरस के कारण हम सब

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175. ईश्वर की खोज

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः स्वामी विवेकानंद— अपने जीवन में जोखिम लो। जीतोगे तो नेतृत्व करोगे, यदि हारोगे तो दूसरों का, जीतने के लिए मार्गदर्शन करोगे। जो भी मनुष्य अध्यात्म में विश्वास करता है, उसका एक ही लक्ष्य होता है— ईश्वर की खोज।यह उस मनुष्य का आत्मिक लक्ष्य है लेकिन ईश्वर के बारे

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174. संजीवनी बूटी— योग और ध्यान

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि— हे अर्जुन योग में स्थित होते हुए सभी कर्मों को करोगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। योग का अर्थ है— संतुलन या संयम अर्थात् आहार, विहार, वाणी, व्यवहार और विचार पर स्वयं का नियंत्रण होना चाहिए। अगर हमारे आचरण में अनुशासन

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173. मौन से करें संवाद

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मौन से अभिप्राय यह नहीं है कि— हम सिर्फ वाणी से चुप हो जाएं और बोलना बंद कर दें यानी वाणी को लगाम लगा लेना मौन की श्रेणी में नहीं आता। सच्चा मौन तो विचारों से मुक्ति है। मौन रहकर मनुष्य अपने अंदर झांकता है। जिससे वह अपनी

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172. जीवन परिवर्तनशील है

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जिस प्रकार प्रकृति में परिवर्तन होता है, कभी गर्मी होती है तो कभी सर्दी, उसी प्रकार जीवन में हर समय परिवर्तन होता रहता है जो निरंतर चलता रहता है। यह कभी नहीं रुकता। सारी सृष्टि परिवर्तनशील है। डार्विन का एक सिद्धांत है— “सर्वाइवल

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