Sunita Rani

121. ॐ के लाभ

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः इससे मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है। इसके नियमित उच्चारण से मानसिक बीमारियां दूर होती हैं। दिल की धड़कन और रक्त संचार ठीक रहता है। काम करने की शक्ति बढ़ती है। इसका उच्चारण करने वाला और सुनने वाला दोनों ही लाभान्वित होते हैं। ॐ का ध्यान […]

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120. योग और स्वाध्याय

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हम कई प्रकार के योगों के नाम सुनते हैं, परंतु वास्तव में योग मात्र एक तरह का ही होता है। जीवन और परमात्मा का संयोग साधन ही योग का उद्देश्य है अर्थात् जीवात्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है।परब्रह्म परमेश्वर सच्चिदानंद स्वरूप है। उसकी सत्ता है, अस्तित्व

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119. ॐ का महत्व एवं उच्चारण विधि

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः उच्चारण की विधि— प्रातः उठकर पवित्र होकर ॐ का उच्चारण करने से पूरे शरीर में एक स्पंदन होता है। जो हमारे आलस्य और निराशा को दूर भगाता है और हम पूरे दिन तरोताजा महसूस करते हैं। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, बज्रासन में बैठकर कर सकते हैं।

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118. ॐ का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः महर्षि पतंजलि के ग्रंथ “योगदर्शन” के 27वें सूत्र में कहा गया है—”तस्य वाचक प्रणव:” ईश्वर शब्द का बोध करने वाला शब्द ॐ है।*यजुर्वेद 40/17 में कहा गया है—”ओम स्वयं ब्रह्म” अर्थात् ॐ ही सर्वत्र व्यापक परम ब्रह्म है।*आइंस्टीन भी यही कह कर गए हैं कि—ब्रह्मांड फैल रहा है।*आइंस्टीन

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117. ॐ की महत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः ॐ हिंदू धर्म की जीवन ज्योति है। ॐ वह ध्वनि है, जो सृष्टि की उत्पत्ति के समय सबसे पहले सुनी गई थी। अर्थात् इस धरा की पहली ध्वनि जिसको ॐ के नाम से संबोधित किया जाता है। वास्तविक रूप में देखा जाए तो ॐ जीवन का सार है।

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116. पाऐं, स्वयं पर विजय

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सिकंदर ने एक बार कहा था कि— मैंने दुनिया को जीतने में सफलता प्राप्त की, पर स्वयं से हार गया क्योंकि मेरे अंदर ही लोभ, मोह, अहंकार प्रचुर मात्रा में भरा हुआ है।दूसरों से तो सभी लड़ लेते हैं। विरोधी या शत्रु से लड़कर उन्हें परास्त करके विजय

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115. आत्म-शक्ति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आत्म-शक्ति में दो शक्तियों का मिश्रण होता है— भावनात्मक और आध्यात्मिक।भावनाएं हमें व्यक्तिगत तौर पर तुरंत जाग्रत कर देतीे हैं और जब हम व्यक्तिगत प्रभावों से ऊपर उठ जाते हैं, उस समय हमारी उर्जा समाज से परे हटकर व्यापक कल्याण के लिए उन्मुख हो जाती है तब वह

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114. जीएं वर्तमान में

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारा मन अस्थिर क्यों रहता है? क्या कभी इसके बारे में सोचा है? कभी जानने की कोशिश की है? इसके अनेक कारण हो सकते हैं? इसमें एक है हमारा बचपन जो हमारा अतीत है। जहां कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जिसका मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी

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113. जीवन एक खेल है

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां प्रत्येक जीव, प्रत्येक क्षण जीवन रूपी खेल खेलता रहता है। किसी के लिए यह एक संघर्ष है तो किसी के लिए एक यात्रा, कोई इसे सुखद यात्रा मानता है तो कोई दुखद और किसी के लिए ईश्वर के द्वारा दिया गया एक

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112. समर्पण

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः समर्पण से अभिप्राय है कि— हम जो भी कार्य करें, उसे पूरी निष्ठा और लगन के साथ करें। अपना पूरा ध्यान अपने लक्ष्य प्राप्त करने की तरफ ही लगाएं।समर्पण वह भाव है जो जीवन को सार्थक बनाता है। यह मानवीय गुणों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। जीवन

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