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82. फूलों-सा महकता जीवन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जब हम फूलों का नाम सुनते हैं, तो हमारे चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान आ जाती है और जब हम उन्हें देखते हैं, स्पर्श करते हैं, तो हमारा रोम-रोम फूलों की तरह खिल उठता है। आखिर फूलों में कुछ तो खूबियां होंगी ही, तभी तो इन्हें देखकर हमारा […]

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81. जीवन जीनें की कला

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन स्वयं, जीने की एक कला है अर्थात् जीवन वही जिसमें जीने का मर्म छिपा है। जीने का मर्म और जीने का धर्म दोनों ही इस जीवन धारा के प्रवाह में दो किनारे हैं। धर्म यह है कि— जीवन जीने के विज्ञान और कला को एक सूत्र में

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80. बाल संस्कार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे संस्कारी बनें, तो बचपन में ही हमें उनमें संस्कार डालने होंगें, तभी वे बड़े होकर एक संस्कारी और श्रेष्ठ व्यक्तित्व को प्राप्त करेंगे। क्योंकि संस्कार मनुष्य के आभूषण होते हैं। यह मनुष्य को गुणवान एवं लोकप्रिय बनाते हैं। संस्कारी व्यक्ति की

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79. जीवन और रिश्ते।

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आज के इस वैश्विकरण युग में हमारी संस्कृति और संस्कार लुप्त होते आ रहे हैं। अब हम रिश्तों की अहमियत और उनकी उपयोगिता को धाराशाही करके आगे बढ़ने को ही सफलता का आधार मानते हैं। आज की युवा पीढ़ी को लगता है कि रिश्ते उनकी सफलता व आजादी

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78. मित्रता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मित्रता यानि दोस्ती एक ऐसा अनमोल रिश्ता है, जो अन्य रिश्तों की भांति थोपा नहीं जाता बल्कि इसे हम अपनी सुविधा एवं रूचि के अनुसार ही बनाते हैं। इस संसार में मित्रता शुद्धतम प्रेम है। इसमें कुछ भी मांगा नहीं जाता, कोई शर्त नहीं होती, बस केवल दिया

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77. मकर सक्रांति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सक्रांति का शाब्दिक अर्थ है— एक दूसरे से मिलना या एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना। सूर्य जब एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तब उसे सक्रांति कहते हैं। सूर्य जिस राशि में प्रवेश करता है, उसी के नाम से सक्रांति मानी जाती

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76. जीवन गति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन एक सतत् प्रवाह है। यह निरंतर गतिशील रहता है। हम समय के बहाव में बहते चले जाते हैं। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक कुछ भी पुराना नहीं रहता। वृक्ष, रास्ते, दोस्त, ऑफिस, संबंध, फूल, टेबल सब कुछ थोड़ा -थोड़ा बदल जाते हैं, लेकिन आदमी

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75. आध्यात्मिक प्रेम

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः प्रेम एक ऐसी अनुभूति है, जो इस नश्वर संसार में रहते हुए भी आनंद और खुशियों की बहार ला देती है। प्रेम के समक्ष लौकिक सभी मूल्यवान वस्तुएं मूल्यहीन हो जाती हैं। जिसके पास प्रेम की संपदा है, वह सौभाग्यशाली है। प्रेम के बिना तो हीरे, जवाहरात, मणि-माणिक्य

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74. प्रन्नसता का महत्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः कहा जाता है कि— जिंदगी जिंदादिली का नाम है, लेकिन जिंदादिली के लिए प्रसन्नता अत्यंत आवश्यक होती है। क्योंकि प्रसन्न मनुष्य ही वास्तविक रूप में जिंदादिल होता है। इसके लिए यह परम आवश्यक है कि प्रत्येक परिस्थिति में वह आनंदित रहे, खुश रहे, परिस्थिति चाहे अच्छी हो या

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73. स्वयं के बनें, मित्र

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः अगर देखा जाए, तो आज के समय प्रत्येक व्यक्ति दुखी है, परेशान है, उदास है। अगर उसके दुख का, उदासी का, परेशानी का कारण पूछा जाए तो वह यही कहता है कि— पता नहीं कोई मुझे समझता ही नहीं। लेकिन अगर वह अपने अन्दर झांक कर देखे, तो

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