05. सर्वोत्तम धन विद्या

ऊँ श्री गणेशाय नम्ः श्री श्याम देवाय नम्ः हमारे शास्त्रों में विद्या को सबसे बड़ा धन माना गया है ।जिसे जितना खर्च करो वह उतना ही बढता जाता है। विद्या का उद्देश्य प्रथमत: मनुष्य का सर्वांगीण विकास करना है।लक्ष्य के लिए दौड़ लगाते हुए अब तक के जीवन में हम लोगों ने मधुमक्खियों को फूलों …

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04. खुद करें दृढ़ संकल्प

ऊँ श्री गणेशाय नम्ः श्री श्याम देवाय नम्ः दुनिया में किसी भी विचार से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, उस पर अमल,हर विचार एक बीज की तरह होता है,जो इच्छित या अनिच्छित परिणाम देता है। देखना यह है कि उसका संकल्प कितना दृढ है।यदि आप किसी विचार को बोते हैं, तो आप कर्म को काटते हैं …

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03. तनाव को संभालना सीखें

ऊँ श्री गणेशाय नम्ः श्री श्याम देवाय नम्ः वेदों में तनाव दूर करने के लिए ध्यान और विश्रांति दोनों को जरूरी बताया गया है। यहां विश्रांति का अर्थ है, आंखें बंद कर दिमाग में सभी प्रकार के विचारों को आने जाने देना। निरंतर अभ्यास से कुछ दिनों बाद स्वयऺ विचार आने बंद हो जाते हैं, …

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02. भक्ति मार्ग

ऊँ श्री गणेशाय नम्ः श्री श्याम देवाय नम्ः समस्त ब्रह्मांड में विद्यमान ईश्वरीय चेतना से एकाकार होने को ही भक्ति कहते हैं। परम पुरुष असीम ज्ञान की सत्ता है, इसलिए अध्यात्मिक साधकों को ज्ञान के द्वारा उन्हें प्राप्त करना चाहिए। यह ज्ञान मार्गियों का पथ है। इसमें मनुष्य अपने मन को स्थिर करके आत्म साक्षात्कार …

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01. परमात्मा का अस्तित्व

ऊँ श्री गणेशाय नम्ः श्री श्याम देवाय नम्ः सृष्टि के कण-कण में विद्यमान यह परमात्मा और परमात्मा में हर प्रकार से समाहित यह संपूर्ण रचना मनुष्य के समझने के लिए है, उसको समझ कर उस रचयिता का ज्ञान प्राप्त कर, आनंद प्राप्ति के लिए है। सृष्टि के बाहर  उस सच्चिदानंद स्वरूप परमात्मा के अस्तित्व की …

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