140. स्वास्तिक का वैज्ञानिक महत्त्व/कलंक

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

स्वास्तिक का वैज्ञानिक महत्व—
सही तरीके से बने हुए स्वास्तिक से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह ऊर्जा वस्तु या व्यक्ति की रक्षा, सुरक्षा करने में मददगार होती है। स्वास्तिक की ऊर्जा का अगर घर, हॉस्पिटल या दैनिक जीवन में इस्तेमाल किया जाए तो व्यक्ति रोगमुक्त और चिंता मुक्त हो जाता है। गलत तरीके से प्रयोग किया गया स्वास्तिक भयंकर समस्याएं दे सकता है।

एनर्जी नापने वाले बोविस यंत्र द्वारा स्वास्तिक की जांच करने से पता चलता है कि—
स्वास्तिक के अंदर लगभग एक लाख सकारात्मक ऊर्जाओं का वास होता है।

बाएं हाथ के स्वास्तिक को काले जादू से जोड़ा जाता है। यही वजह है कि तंत्र साधना में उल्टे हाथ का स्वास्तिक बनाया जाता है। यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि स्वास्तिक को उस शख्स ने अपनी पार्टी का चिन्ह बना लिया, जिससे पूरा विश्व सबसे ज्यादा नफरत करता है। हिटलर की नाजी पार्टी का निशान बनने के पश्चात स्वास्तिक की पहचान पर खून के धब्बे पड़ गए।

1920 में नाजी पार्टी, जिसे (नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी) के तौर पर भी जाना जाता था के नेता एडोल्फ हिटलर ने अपनी पार्टी का प्रतीक चुना।
ये प्रतीक था— स्वास्तिक।
जर्मन में इसे हेकेनक्रुएज कहा जाता है।

चिन्ह का खूनी इतिहास — पार्टी का यह चिन्ह बहुत सोच समझ कर लिया गया, जिसके पीछे खुद को आर्यन बनाने की मंशा थी।

आर्यन यानि—सर्वश्रेष्ठ मानव।
इसके बाद हिटलर की अगुवाई में नरसंहार का सिलसिला चल पड़ा। नफरत के उस दौर में पार्टी के प्रतीक चिन्ह स्वास्तिक के हजारों वर्षों के इतिहास को धुंधला कर दिया।दस्तावेज बताते हैं कि करीब 35 हजार के आसपास यहूदियों को बेहद क्रूरता से मार दिया गया था। उसके बाद से लोग इस चिन्ह से दूरी बनाने लगे। उनका मानना था कि -स्वास्तिक को मानने वाले नाजियों ने यूक्रेन की राजधानी को खून से रंग दिया। क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नाजी पार्टी का प्रतीक चिन्ह बनने के बाद से लोग स्वास्तिक को रक्तपात से जोड़ कर देखने लगे।

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