श्री गणेशाय नमः
श्री श्याम देवाय नमः
डब्ल्यू पी के किसेला के अनुसार— हम जो चाहते हैं, उसे पाना सफलता है। जो मिला है, उसे चाहना खुशी है। यकीनन संतोषी सोच से उपजी ऐसी खुशी और मन का ठहराव अच्छी सेहत, आत्मविश्वास और खुश मिजाजी की सौगात देने वाले होते हैं। हर हालात को संभालने का हौसला लिए रहते हैं। ऐसे मनुष्यों के मन में न तो आज की स्थितियों से शिकायत होती है और न ही आने वाले कल से जुड़ा कोई भय होता है। सहजता से यूं जीवन जीने का अंदाज मनुष्य को कई तरह की उलझनों से दूर रखता है जो असल मायने में सुख की कुंजी भी हैं।
यह सच्चाई है कि जिंदगी मे हर किसी के हिस्से में सब कुछ नहीं आ सकता। ऐसे में न तो किसी की झोली पूरी तरह खाली रहती है और न ही हर हाल में मनचाहा प्राप्त करने का सुकून सबके हिस्से आता है। ऐसे में अगर हम वर्तमान में रहकर जीवन को जिएं और सुखद लम्हों को सहेझते रहें तो इससे बढ़कर सुख की कुंजी और नहीं हो सकती। लेकिन और ज्यादा प्राप्त करने की आपाधापी में हम यह भूल जाते हैं कि जो मिला है, उसे संभालने और उस पर कृतज्ञ रहने वाले मनुष्य से ज्यादा खुश कोई नहीं हो सकता।
वास्तव में देखा जाए तो अच्छा हो या बुरा, जुटाने की इस होड़ में हम जीवन जीना ही भूल जाते हैं। पाने की ऐसी इच्छाओं के बीच जो झोली में है, उसे भी संभालना भूल जाते हैं। ऐसी उलझनें जीवन भर ऐसे ही चलती रहती हैं। जो है उस का आनंद उठाने की बजाय थोड़ा और जुटाने की जुगत में कितने ही सुखद पल हमारे हाथ से ऐसे ही छूट जाते हैं। क्या कभी सोचा है कि और पाने के चक्कर में जो खुशी हमारे हिस्से में आई है, उस खुशी को भी हम प्राप्त नहीं कर पाते।
किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति को अस्पताल लाया जाता है। उसी जगह पर एक खिड़की के पास एक अन्य बीमार व्यक्ति का बिस्तर लगा हुआ है। कुछ ही समय के बाद उन दोनों में दोस्ती हो जाती है।
खिड़की के पास वाला मरीज प्रतिदिन अपने दोस्त को बाहर की दुनिया की सजीव व्याख्या करता है। वह कभी बाहर की हरियाली व हवा के झोंकों के साथ वृक्षों के झूमने की सुंदरता के बारे में बताता तो किसी दिन अपने दोस्त का मनोरंजन अस्पताल में आते-जाते लोगों की बातें बता कर करता।
लेकिन एक दिन गंभीर बीमारी से पीड़ित रोगी की मृत्यु हो जाती है।
अब खिड़की वाली जगह पर दूसरा मरीज आ गया। वह खुश था कि अब मैं भी बाहर के नजारे देख पाऊंगा। लेकिन जैसे ही उसने बाहर की तरफ देखा तो वह हैरान रह गया। क्योंकि वहां ईंट की दीवार थी। उसे जल्दी ही समझ में आ गया कि मरीज कल्पनाओं के आधार पर उसके मुश्किल समय को खुशहाल बनाने की कोशिश करता था।
यह कहानी हमारे को एक नई दिशा देती है कि जीवन में चाहे जितनी भी मुश्किलें आएं, हमें अपने जीवन के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मक रखना चाहिए। परिस्थितियां हमें तभी विचलित कर सकती हैं, जब हम नकारात्मक होते हैं।
भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग के अनुसार— हम एक अत्यंत छोटे तारे के, एक छोटे से ग्रह पर रह रहे हैं जो खरबों तारापुंजो से घिरा हुआ है। आपका इस दृष्टिकोण पर क्या कहना है? दरअसल, हमारी सारी परेशानियां या चुनौतियां उतनी गंभीर नहीं, जितना की हम सोचते हैं। हम इस ग्रह पर बहुत कम समय के लिए आते हैं। अगर पूरी तरह से देखा जाए तो हमारी जिंदगियां अनंतकाल की कायनात पर कुछ बूंदों के समान है। इसलिए हमें विवेकपूर्ण तरीके से इनका स्वाद लेना चाहिए और इस जीवन रूपी सफर को खुशियों से सराबोर रखना चाहिए।
👍👍👍👍🙏🙏🙏🙏🙏it’s true…..life becomes very good with this thought……jai shri shyam…..
Jai shree Shyam Sunder