184. मन पर नियंत्रण

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

मन पर नियंत्रण रखना बहुत मुश्किल कार्य है। मन को काबू में रखने के लिए हमारे ऋषि-मुनियों में ध्यान और योगाभ्यास की परंपरा रही है।
हमारे बड़े- बुजुर्ग कहते हैं कि— किसी राज्य का राजा बनना आसान है परंतु अपने मन का राजा होना बहुत मुश्किल होता है। इसके पीछे कारण केवल यही है कि मनुष्य अपने मन पर नियंत्रण नहीं कर पाता। इसलिए जो व्यक्ति मन का राजा हो जाता है, उस पर नियंत्रण कर लेता है, वह स्थितप्रज्ञ हो जाता है।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्थितप्रज्ञ के बारे में बताया है। वे अर्जुन को स्थितप्रज्ञ होने के लिए कहते हैं। क्योंकि श्री कृष्ण जानते थे कि— जब मनुष्य एक बार स्थितप्रज्ञ हो जाता है तो उसके लिए सुख- दुख सब एक जैसे हो जाते हैं और वह सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण जैसे गुणों से ऊपर उठ जाता है। जब मनुष्य इस अवस्था में पहुंच जाता है तो फिर वह न तो दुख में ज्यादा दुखी रहता है और न ही सुख में ज्यादा सुखी। वह सुख और दुख को समान भाव से देखता है। ऐसे मनुष्य के जीवन में यदि दुख आता भी है तो उसे परेशानी का अनुभव नहीं होता। उसके हृदय में क्रोध, मोह, भय जैसे विकारों के लिए कोई जगह नहीं होती।

यदि मनुष्य अपने मन पर नियंत्रण पाने में सफल हो जाता है तो वह सारे दुखों से सहजता से मुक्ति पा सकता है। क्योंकि सब कुछ मन पर ही निर्भर करता है। अगर एक बार मन को साध लिया तो जीवन बहुत आसान हो जाता है फिर वह छोटी-छोटी बातों को भी बड़ी-बड़ी समस्याएं बनाकर उनका भार अपने सिर पर उठा कर नहीं घूमेगा क्योंकि जब मन पर नियंत्रण होगा तो समस्याएं भी नहीं रहेंगी।

एक व्यक्ति अपने दोस्त के घर गया। उसका दोस्त अपनी समस्याओं से काफी विचलित था। वह उसके सामने अपनी समस्याओं का पिटारा खोल कर बैठ गया। घरेलू समस्या, आर्थिक समस्या और भी न जाने कितनी समस्याएं। वह व्यक्ति धैर्य पूर्वक सब सुनता रहा। काफी समय व्यतीत हो गया लेकिन उसकी समस्याओं का पिटारा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अंत में वह व्यक्ति बोला— मुझे पानी नहीं पिलाओगे क्या?
वह उठा और तुरंत एक गिलास पानी ला कर दिया, फिर अपनी समस्याओं के बारे में बताने लगा।

उस व्यक्ति ने आराम से पानी पिया और पानी पीने के बाद कहा— अगर मैं 15 मिनट गिलास को हाथ में ही पकड़े रहूं तो क्या होगा?

दोस्त ने कहा— पकड़े रहो, कुछ नहीं होगा।

उस व्यक्ति ने कहा— अगर मैं 2 घंटे गिलास को पकडे रहूं तो क्या होगा?

तुम्हारे हाथ में दर्द शुरू हो जाएगा और क्या?

उस व्यक्ति ने कहा—अच्छा! तो मैं क्या करूं जिससे मेरे हाथ में दर्द न हो।

दोस्त ने कहा— यह तो बिल्कुल आसान है। तुम इस गिलास को रख दो। इसको हाथ में मत रखो।

उस व्यक्ति ने कहा— ठीक कहा तुमने। तुम जानते हो यदि मैं इस गिलास को हाथ में पकड़े रहूंगा तो मेरे हाथ में दर्द होना निश्चित है क्योंकि इसको पकड़े रहने से मेरे हाथ का ब्लड सर्कुलेशन रुक जाएगा और दर्द बढ़ जाएगा।

दोस्त ने कहा— जब तुम्हें सब पता है तो मुझसे क्यों पूछ रहे हो?

उस व्यक्ति ने कहा— तुम्हें भी तो सब पता है। तुम भी तो अपनी समस्याओं का इतना भारी पिटारा उठाकर घूम रहे हो। अगर तुम भी इस पिटारे को नीचे रख दो तो तुम्हारी समस्या का समाधान भी हो जाएगा।
अब उस दोस्त को सब समझ आ गया।

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