200. सफलता के सूत्र

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

प्रत्येक मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है और सफल होना ही उसका सर्वमान्य लक्ष्य है।जीवन चुनौतियां और अवसरों से भरा हुआ है लेकिन केवल उन्हीं लोगों के लिए जो वास्तव में अवसरों को प्राप्त करने और चुनौतियों का सामना करने के लिए संघर्ष करते हैं।

अगर देखा जाए तो चुनौतियां ईश्वर का शक्तिशाली हथौड़ा है और हम उसकी तिपाई पर रखे लोहे की तरह हैं। उसकी चोट हमें नष्ट करने के लिए नहीं बल्कि फिर से तैयार करने के लिए पड़ रही है अर्थात् बिना कष्ट उठाए हम सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। जीवन में वे मनुष्य सफलता का वरण करते हैं जो तकलीफों की आंच में तप कर बाहर निकलते हैं।

संसार का भी यही दस्तूर है कि— वह उन मनुष्यों को ही सिर आंखों पर बिठाता है जो कठिनाइयों में पीछे नहीं हटते और चुनौतियों का डटकर सामना करते हैं। तभी वे कुंदन बनते हैं, जो मनुष्य कष्टों को झेल लेते हैं, उनका जीवन सफल हो जाता है और दुनिया उनका सत्कार करती है।

कड़ी मेहनत और समर्पण सफलता की यात्रा का एकमात्र मंत्र है। कड़ी मेहनत के बिना कोई भी सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। अपने जीवन में लक्ष्य को धारण कीजिए और फिर उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से परिश्रम किजिए।

यह हमेशा याद रखिए रास्ता जितना दुर्गम, पथरीला और कष्टदाई होगा, उस पर चलने वाले के पैर भी उतने ही मजबूत होंगे। ऐसे मनुष्य ही दुनिया में कुछ कर पाने का माद्दा रखते हैं। जब तक आप अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक प्रयास करना मत छोड़िए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी गति धीमी है। अगर आप निरंतर प्रयास कर रहे हैं तो जीत संभव है। इतिहास में ऐसे अनेकों मनुष्य हुए हैं, जिन्होंने कठोर परिश्रम द्वारा असंभव को भी संभव कर दिया। किसी भी सफलता का प्रारंभ प्रयास करने से ही शुरू होता है।

हम में से बहुत से मनुष्यों ने अक्सर यह सुना होगा कि— हमारे भाग्य में जो लिखा हुआ है, वह होना ही है तो प्रयास करने से क्या फायदा। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि क्या पता भाग्य में यही लिखा हो कि प्रयास करने के बाद ही हमें सफलता मिलेगी। इसलिए कर्म कीजिए। स्वयं पर भरोसा करने वाला साहिल ही तूफानों के बीच अपनी नौका का लंगर डाल सकता है। जिसे अपनी क्षमता पर विश्वास होता है, उसके लिए प्रतिकूलता भी अनुकूलता को जन्म देती है।

परिश्रम और प्रयास से भी ज्यादा जरूरी होता है कि— संघर्ष के साथ जीवन जीने और स्वयं के भीतर विद्यमान अनंत संभावनाओं को उद्घाटित कर सकने का विश्वास। इसके विपरीत जिस मनुष्य में धैर्य और दृढ़ता के साथ कठिनाइयों का मुकाबला करने का साहस नहीं होता है, वह किसी भी पड़ाव को पार नहीं कर सकता, छोटी-छोटी परेशानियों या तकलीफों से बचकर भागना चाहता है। ऐसे मनुष्य ही जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं जो दूसरों द्वारा अपने पर फेंकी गई ईंटों से एक सुंदर महल का निर्माण कर डालते हैं।

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