261. संत वाणी
श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः देखा जाए तो हमारा समस्त जीवन प्रायः असंतुष्ट दोषारोपण में ही व्यतीत हो जाता है। आनंद की प्राप्ति के लिए मनुष्य न जाने क्या- क्या प्रयोजन करता रहता है? लेकिन फिर भी उसे आंतरिक सुख प्राप्त नहीं होता। मन की व्यथा और द्वंद्व से मुक्ति पाने के लिए …