243. पाएं, संघर्ष से सफलता

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

मानव जीवन में संघर्ष के मार्ग पर चलकर ही सफलता का शंखनाद किया जा सकता है। समस्त जीवन को ही अगर संघर्षों की यात्रा कह दिया जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। संघर्ष वास्तव में वह अग्नि है, जिसमें तप कर किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पूरी तरह परिष्कृत होकर समाज के समक्ष एक दृष्टांत के रूप में स्थापित होता है। अगर हमें किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करनी है तो वह बिना संघर्ष के प्राप्त नहीं हो सकती। यदि किसी कार्य को प्रारंभ करने से पहले ही हम कार्य में होने वाले संघर्ष को देखकर अपने हाथ खड़े कर लेते हैं तो हम कभी भी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाते। कठिन परिस्थितियों में विवेकपूर्ण निर्णयों के साथ ही सफलता संभव है।

जीवन में परिवर्तन का क्रम चलता ही रहता है। अगर हमारे जीवन में बार-बार विपरीत परिस्थितियां आ भी रही हैं तो कभी भी यह नहीं समझना चाहिए कि अब जीवन में सब कुछ खत्म हो गया। अब कुछ करने के लिए बचा ही नहीं। संघर्षशील मनुष्य को पुनः उसी उत्साह के साथ नए सिरे से प्रयास करना चाहिए। क्योंकि प्रयास करने से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। अगर हम किसी कार्य में प्रयास ही नहीं करेंगे तो सफलता कैसे प्राप्त करेंगे? हमेशा यह याद रखना चाहिए कि संघर्ष के बिना जीवन जीने का कोई औचित्य ही नहीं। संघर्ष मानव जीवन का एक अपरिहार्य पड़ाव है। जिससे घबराकर हमें कोई आत्मघाती कदम नहीं उठाना चाहिए बल्कि आगे बढ़ कर उसका स्वागत सत्कार करना चाहिए।

संघर्ष काल में यह बात हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारे स्वयं के हाथ में कुछ नहीं है। हम तो केवल पुरुषार्थ कर सकते हैं, मगर उसका फल समय से पूर्व प्राप्त नहीं किया जा सकता।
कहा भी जाता है कि— समय से पहले और भाग्य से अधिक न किसी को मिला है और न किसी को मिलेगा।
उसके लिए प्रतीक्षा ही सबसे बड़ा सहयोग है। ऐसे विचार ही मनुष्य को प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आशा की उम्मीद जगाए रखते हैं। ऐसे में सिर्फ विश्वास और धैर्य की आवश्यकता होती है। यही जीवन है। सफलता और संघर्ष साथ- साथ चलते हैं। कठिन रास्ते भी हमें ऊंचाइयों तक ले जाते हैं। प्रत्येक रात के बाद सवेरा होता है और यह भी सत्य है कि रात जितनी काली और भयावह होगी, सुबह उतनी ही प्रकाशमान तथा सुहानी होगी। गर्म हवाओं के चलने से ही जल वाष्प बनकर मेघ बनता है और फिर जीवनदायिनी वर्षा के रूप में बरसता है।

संघर्ष हमारे अंदर सफलता प्राप्त करने के लिए उत्कट भाव पैदा करता है। हमें कठिन परिश्रम के लिए प्रेरित करता है। यदि हमारे मन में दृढ़ इच्छाशक्ति है और अपने कार्य के प्रति लग्न है तो हम जीवन में आने वाली अनेकों बाधाओं के बीच से भी सफलता का कोई न कोई मार्ग अवश्य ढूंढ लेते हैं। यह हम पर निर्भर करता है कि हम अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को सकारात्मक दृष्टि से देखते हैं या नकारात्मक दृष्टि से। क्योंकि जब तक जीवन में चुनौतियां नहीं आती, तब तक संघर्ष प्रारंभ नहीं होता। हम अपने जीवन को कठिन संघर्षों के साथ ही स्वर्ण सदृश बना सकते हैं। कठिन संघर्ष ही हमारे व्यक्तित्व में सोने जैसा निखार व चमक पैदा करता है। संघर्ष करने से ही हम जीवन में वह बन पाते हैं जो हमारे भाग्य ने हमारे लिए तय किया है।

हमें मधुमक्खी से सीख लेनी चाहिए जो कठिन संघर्ष का जीवंत प्रमाण है। वह छोटी- सी काया अपने जीवन पर्यंत संघर्ष को स्वीकार करती है। वह दिन भर कठिन यात्राएं कर मधु इकट्ठा करती है। उसका संघर्ष दिन निकलते ही प्रारंभ हो जाता है। हमें भी अपने जीवन में मधुमक्खी से सीख लेनी चाहिए। प्रबल चुनौतियां भी परास्त की जा सकती हैं, बस हमें जीवन में कठिन संघर्ष का स्वागत करना चाहिए।

इस धरा पर ऐसा कोई नहीं जन्मा, जिसके जीवन में संघर्ष न हों। यहां तक की नर का रूप धारण करने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और 16 कलाओं से परिपूर्ण भगवान श्री कृष्ण संघर्षों से अछूते नहीं रहे। श्री राम अगर संघर्षों से समझौता कर लेते तो उन्हें अयोध्या का राज सिंहासन तो आसानी से मिल जाता। परंतु इस धरा को अनीति और अनाचार से मुक्ति नहीं मिलती। उन्होंने इन सभी पर विराम लगाया और अपने अनुकरणीय आचरण से मर्यादा पुरुषोत्तम की उपाधि अर्जित की। संघर्षों से जूझने की अदम्य क्षमता के चलते ही आज भगवान के रूप में उनकी पूजा होती है। द्वापर में भगवान श्री कृष्ण का जीवन भी इसका साक्षात् उदाहरण है।

सफर के अंत में रास्ते ही मायने रखते हैं, मंजिल नहीं। मंजिल अंत नहीं है। यही कारण है कि सफलता की मंजिल पर पहुंच कर भी मनुष्य चुपचाप, हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठता। क्षण भर की आत्मसंतुष्टि और फिर वह पुनः निकल पड़ता है, संघर्ष करने के लिए, एक नई यात्रा पर। एक नई मंजिल की तलाश में। यात्रा ही महत्वपूर्ण है। इस बात को जान लेने वाला मनुष्य जीवन यात्रा में मिलने वाले संघर्षों के महत्व को भलीभांति समझता है। वह संघर्षों में ही जीता और उत्सव मनाता है। बुद्ध, महावीर, नानक, शिवाजी, प्रताप आदि इन्होंने अपने लिए सफलता का कोई एक पैमाना निश्चित नहीं किया। बिना थके, बिना रुके ये चलते रहे और नित नए रास्ते बनाते रहे।

हल्दीघाटी के भीषण संग्राम के पश्चात् वीर महाराणा प्रताप को जंगलों में संघर्ष भरे दिन गुजारने पड़े। उन्होंने अपने साथियों के साथ घास से बनी हुई रोटियां तक खाई। कठिन हालातों ने उनके हौंसले को फौलाद बना दिया। उसके पश्चात् ही उन्होंने मुगल सेना को बार-बार धूल चटाई। संघर्ष में ही शक्ति है। यही हमारी महानता का आरंभिक बिंदु भी है। जब चुनौतियां आती हैं तो हमें अपने अंदर हर परिस्थिति में संघर्ष करने का जज्बा बनाए रखना चाहिए।

अमेरिका की प्रसिद्ध लेखिका मैंडी हेल अपनी किताब (द सिंगल वुमेन लाइफ, लव एंड डैश ऑफ सास) में लिखती है कि— आप नाचे- गाएं, खुशियां मनाएं, विश्वास रखें, प्यार करें और सबसे बढ़कर इस यात्रा के प्रत्येक पल का आनंद उठाएं। इस बात पर सिर खपाने की अपेक्षा की अभी और कितनी दूर जाना है। इस बात के लिए स्वयं की प्रशंसा करें की आपने कितना सफर तय कर लिया है। यह याद रखें कि संघर्ष हमें कमजोर या भयाक्रांत नहीं करते, बल्कि हम में साहस और त्याग जैसे गुणों का समावेश करते हैं।

नि: संदेह संघर्षों के साये में ही उज्जवल भविष्य के निर्माण का बीज निहित है। संघर्षों से डर कर बैठ जाने वाला मनुष्य या संघर्ष के जोखिम से रास्ता बदल लेने वाला मनुष्य कभी भी समाज का प्रेरक नहीं बन सकता। जिसका निर्माण संघर्षों के साए में हुआ हो, जो संघर्षों का सामना करते हुए सफलता की ऊंचाइयों के चरम को प्राप्त करने का हुनर
रखता हो, वही मनुष्य समाज को प्रेरणा दे सकता है। जीवन में विकट परिस्थितियों का सामना किए बिना यदि कुछ प्राप्त हो भी जाए तो उस उपलब्धि का कोई मूल्य नहीं होता।

संघर्ष के रंग ही हमारी सफलता के रंग को सतरंगी बनाते हैं। जीवन जब संघर्षों से गुजर रहा हो तो उसका आनंद लेना चाहिए। क्योंकि आज का संघर्ष ही हमारे भविष्य का निर्माण करेगा और हमारी वर्तमान स्मृतियों को अविस्मरणीय बनाएगा। जीवन में आए दुख, चिंता, तनाव तथा समस्या ही मनुष्य को निरंतर कर्मशील रखती हैं। इसलिए अपना दृष्टिकोण तथा चिंतन बदलकर समस्याओं को देखा जाए तो हर संकट सफलता की ओर ले जाने वाला रास्ता बन जाएगा। विपत्ति एक कसौटी है। जिस पर कसकर मनुष्य का व्यक्तित्व और चरित्र जांचा परखा जाता है। आपका हर दिन बीते दिन से अलग है। इसे स्वीकारना ही जीवन को गले लगाना है और जो यह कला समझ गया, उसकी सफलता के मार्ग में कोई भी चुनौती या बाधा नहीं आ सकती।

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