276. सुनें, आवाज मन की

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

वैसे देखा जाए तो मनुष्य को किसी भी कार्य के बारे में सोचने से पहले एक बार अपने अंतर्मन की आवाज को अवश्य सुनना चाहिए क्योंकि उसका अंतर्मन यह अच्छी तरह जानता है कि उसके लिए क्या ठीक रहेगा और क्या गलत। खासकर युवा जब अपने कैरियर की शुरुआत करते हैं तो दूसरों के कहने पर अलग-अलग फील्ड का चुनाव कर लेते हैं। वे ऐसे फील्ड में अपने भविष्य को तलाशना शुरू करते हैं, जिसमें उनकी कोई रुचि नहीं होती। वे अपनी मेहनत से कामयाब तो हो जाते हैं लेकिन उनको खुशी नहीं मिलती। कुछ युवा दो हिम्मत करके अपने फील्ड को बदल लेते हैं लेकिन कुछ पूरी लाइफ उसी फिल्ड में गुजार देते हैं।

इसलिए कैरियर के बारे में सोचने से पहले अपने मन पर फोकस कीजिए। क्योंकि किसी भी युवा के अन्तर्मन की आवाज उसका कैरियर और भविष्य का निर्धारण करेंगी। इसलिए युवा हो या बड़ा हो, सब को जीवन में कार्य और भविष्य का निर्धारण करने से पूर्व अपना आत्मनिरिक्षण करना चाहिए। क्योंकि जितना हम स्वयं को जानते हैं, उतना इस संसार में अन्य कोई हमें नहीं जानता।

कई बार देखने को मिलता है कि— किसी क्षेत्र में गहरी रूचि होती है, अगर उसके प्रति आपके भीतर जुनून भरा है, तो उससे जुड़े क्षेत्र में अपने को आगे बढ़ाने का उपक्रम करें। अगर ऐसा नहीं है और आप अपने लिए उपयुक्त क्षेत्र चुनने में दुविधा महसूस कर रहे हैं, तो आज के दौर में तो आपके पास हजारों विकल्प हैं, जिनके जरिए आप अपनी प्रतिभा को परख सकते हैं।

आजकल ऑनलाइन, ईमेल, फोन, फेसबुक आदि किसी भी जरिए किसी अनुभवी काउंसलर से संपर्क करके अपने लिए उपयुक्त रास्ते का समाधान कर सकते हैं। अगर किसी कारणवश इनमें से कोई विकल्प उपलब्ध नहीं भी करना चाहते तो भी कोई बात नहीं, आप खुद से अपनी पसंद को समझ सकते हैं। इसके लिए आपको शांत होकर अपनी आदत, व्यवहार, पसंद-नापसंद, अपनी दिनचर्या आदि पर गौर करना शुरू कर दें। ऐसा कुछ दिनों तक करने के पश्चात आप किसी परिणाम पर पहुंच सकते हैं।

इसके लिए आप जरूरी समझें तो अपने परिवार की, यार- दोस्तों की राय भी ले सकते हैं। लेकिन कोई भी राय लेने से पहले खूब अच्छी तरह से सोच- विचार कर लें। दूसरों के द्वारा बनाई गई परिपाटी पर न चलें। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि हम दूसरों से प्रभावित बहुत जल्दी हो जाते हैं। यदि अन्य किसी क्षेत्र में सफल व्यक्ति को देखते हैं, तो उसकी भौतिक सम्पन्नता, वैभव, सुख इत्यादि हमें उस क्षेत्र के प्रति आकर्षित करते हैं और हम उस क्षेत्र में अपना भविष्य तलाशने निकल पड़ते हैं।

उस क्षण स्वयं से प्रश्न करना भी उचित नहीं समझते कि वह क्षेत्र हमारे लिए अनुकूल भी है या नहीं। यह भी संभव है कि हम उस क्षेत्र से भी ज्यादा बेहतर किसी और क्षेत्र में कर सकते हों, लेकिन यह तो तभी संभव होगा जब हम दूसरों से आकर्षित होने के बजाय अपने व्यक्तित्व को समझने का प्रयास करेंगें। अपनी छिपी हुई प्रतिभा को परखने के साथ-साथ उस पर और परिश्रम करके उसमें निखार लाएंगे। अपने भीतर की प्रतिभाओं को बाहर लाकर ही उस दिशा में आगे बढ़ना सार्थक होगा।

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