श्री गणेशाय नमः
श्री श्याम देवाय नमः
हम जीवन में तभी कामयाब हो सकते हैं, जब हम किसी भी कार्य को पूरी निष्ठा के साथ करते हैं। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिश्रम और पुरुषार्थ करते हैं। लेकिन हम तो प्रत्येक कार्य को आसानी से करने की चेष्टा करते हैं। हम यह भली- भांति जानते हैं की सफलता तो तभी प्राप्त होगी जब हम पूर्ण रूप से समर्पित होकर उस कार्य पर फोकस करके करेंगे। सब कुछ जानते हुए भी हम आलस्य के कारण उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते।
अक्सर ऐसा होता है कि हम किसी भी कार्य को आधे अधूरे मन से करते हैं, जिससे उसमें कामयाबी मिलना स्वाभाविक रूप से संदिग्ध होता है। अगर देखा जाए तो सही तरीका तो यही है कि हम अपना प्रत्येक कार्य इस प्रकार से करें जैसे यह हमारे जीवन का अंतिम कार्य है, तभी हम उस पर अपना हंड्रेड परसेंट दे पाएंगे और जब हम किसी भी कार्य में अपना हंड्रेड परसेंट देते हैं तो उस कार्य में सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
12वीं के बाद युवा अक्सर ऐसी गलती करते रहते हैं। उनको यह समझ नहीं आता कि उन्हें किस क्षेत्र में कार्य करना चाहिए। ऐसे में उन्हें कोई भी रास्ता चुनने से पहले अपनी पसंद और नापसंद पर फोकस करना होगा। अपनी पसंद को जान लेने के बाद ही आगे के रास्ते तय करें। उस क्षेत्र में जाने के बाद कौन से विकल्प उपलब्ध हैं और आप अपनी स्थिति के अनुसार कौन- सा विकल्प चुन सकते हैं।
अगर आपको उस क्षेत्र में कामयाबी नजर आ रही है और आपको अपने सपने साकार होते नजर आ रहे हैं तो आगे बढ़िए और पूरे उत्साह के साथ इन्जवाय करते हुए अपने सपनों को मूर्त रूप दीजिए। आपके रोम-रोम से आवाज आए तभी आप उस सपने को पूरा करने के लिए किसी भी तरह की मेहनत करने को तैयार हो पाएंगे।
जब आप सही दिशा में और पूरी तन्मयता के साथ भरपूर मेहनत करेंगे तो, निश्चित रूप से कामयाबी के शिखर पर पहुंचेंगे। जितने सफल मनुष्य हुए हैं उन सभी ने अपने हुनर की पहचान समय रहते कर ली थी और उसका परिणाम भी सामने है।
सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि हम अपनी प्रतिभा की पहचान करें और अपनी रूचि के क्षेत्र को भविष्य का आधार बनाने के कार्य में सलंग्न हो जाएं। यदि हम उस दिशा में परिश्रम करेंगे, जिस क्षेत्र के हम लायक हैं, तो हमारी दिशा में परिवर्तन होते समय नहीं लगेगा। अन्यथा अंधेरे में हम कितने ही तीर मार लें, हमारे हाथ खाली ही रहने वाले हैं।