59. अर्थपूर्ण हों विचार

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

मन में विचार आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। विचार सबके मन में आते हैं। लेकिन विचार उसी के मान्य होते हैं, या महान् होते हैं, जो अर्थपूर्ण हों, जिनका अपना कोई अस्तित्व हो। इसलिए अर्थपूर्ण विचारों के लिए जरूरी है कि आपका दृष्टिकोण सकारात्मक हो। इसके लिए आप अच्छी-अच्छी पुस्तकें पढ़ें, घूमें, लोगों से मिलें, व्यस्त जीवन में से थोड़ा-सा समय ध्यान-योग के लिए निकालें आदि। फिर देखना कि आपका दृष्टिकोण कैसे सकारात्मक होता है। इसके साथ-साथ आपकी व्यवहार कुशलता भी सफलता के रास्ते पर अग्रसर करती है। बहुत अधिक परिश्रम करने के बाद भी, अगर दुर्भाग्य अपना काम कर रहा है और आपको असफलता की तरफ धकेल रहा है, तो व्यवहार कुशलता अपना कार्य बखूबी करती है। व्यवहार कुशलता और जनसंपर्क दोनों एक- दूसरे के पूरक हैं। दोनों एक- दूसरे के मददगार हैं। जीवन में इन दोनों का एक साथ उपयोग करके देखिए। आपका सोचने-समझने का नजरिया बदल जाएगा। इसे यूं भी समझ सकते हैं कि— श्री राम जी बड़े व्यवहार कुशल थे और श्री कृष्ण जनसंपर्क में माहिर थे।

हमें अपने विचारों को गति देने के लिए निरंतरता की आवश्यकता रहती है। जब हम निरंतर अभ्यास करते हैं, तो हमारी योग्यता निखरती है। हम अपनी कमजोरियों से खुद की रक्षा कर पाते हैं। एक ऐसे दौर में, जब लगभग हर जगह नकारात्मक और निराशा का वातावरण हो, तब जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सिर्फ एक ही राह बचती है, वह है सकारात्मक सोच की। हमारे बड़े-बुजुर्ग भी सकारात्मक सोच रखने की सलाह देते हैं और मनोचिकित्सकों का भी कहना है कि सकारात्मक सोच रखने वालों को सफलता मिलने की संभावना, नकारात्मक प्रवृत्ति के लोगों की तुलना में ज्यादा होती है। यू एस नेशनल साइंस फाउंडेशन ने विचारों पर एक रिसर्च किया और पाया कि हमारे दिमाग में आमतौर पर एक दिन में 50 हजार विचार आते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 70% से 80% तक विचार नकारात्मक होते हैं। अब सवाल यह उठता है कि नकारात्मक विचारों को हम कैसे अर्थपूर्ण और सार्थक बनाएं।

युवाओं से हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि वे नौकरी के लिए सपने देखने या परेशान होने की बजाय अपने टैलेंट को समझकर उसे आज की जरूरतों के अनुरूप तराशना शुरू कर दें। अगर अपनी प्रतिभा को निखार लेंगे, तो आपको नौकरी के पिछे भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि नौकरी आपके पिछे-पिछे चलेगी। अगर आप प्रतिस्पर्धा में आगे रहना और मनोवांछित नौकरी आसानी से पाना चाहते हैं, तो कंफर्ट जोन में रहने की बजाय, बदलाव को समझने और उसके साथ कदमताल करने के लिए पुरजोर प्रयास करना होगा। इसके लिए सबसे पहले अपने पैशन को अच्छी तरह समझते हुए, उसे हर समय जीने की ओर कदम बढ़ाना होगा। जब आप ऐसा करेंगे, तो उसके लिए जरूरी सभी कार्यों को जानने और सीखने की कोशिश अवश्य करेंगे। आप अपने आपको जागरूक बनाएं और अपने पैशन की दिशा में प्रयास करें। अगर आपको पर्याप्त मौका नहीं मिलता, तो निराश होने या हाथ पर हाथ रखकर बैठने की बजाय दूसरा रास्ता खोजना होगा। यह रास्ता भी कहीं और नहीं, बल्कि आपके पास ही है। अगर आप इसका भरपूर फायदा नहीं उठाते या इसके लिए तत्पर नहीं रहते, तो इसका मतलब यह होगा कि आप मन से अपने को पहचान नहीं दिलाना चाहते और अकर्मण्य स्थिति में ही पड़े रहना चाहते हैं।

सफलता के लिए एक जुनून होना चाहिए। दृढ़ संकल्प और परिश्रम, ये सफल व्यक्ति के औजार हैं। कोई भी सफलता रातों-रात नहीं मिलती। मेहनत करनी पड़ती है। साथ ही साथ असफलता को स्वीकार करने की भी आदत डालनी पड़ती है। मेरा मानना है कि जुनून और धैर्य से आप लंबे समय तक काम कर सकते हैं और मनचाहा परिणाम हासिल कर सकते हैं। अपने लक्ष्य के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण आगे बढ़ने में बहुत सहायक होता है, क्योंकि किसी मुकाम तक पहुंचने के लिए हमारे विचार अर्थपूर्ण होने बेहद आवश्यक होते हैं। अगर हम हताशा और निराशा की स्थिति में रहेंगे तो हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचना कतई आसान नहीं होगा। ऐसे में हमारे जीवन में हम कोई भी कार्य करें, एक अनिश्चित- सी स्थिति बनी रहती है। इसलिए जुनून और समर्पण से अपनी नींव को मजबूत करना पड़ता है, तभी हम सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते चले जाते हैं। ईश्वर ने हमें कोई न कोई प्रतिभा देकर इस संसार में भेजा है। आप ऐसे सैकड़ों- हजारों युवाओं को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए देख सकते हैं। फिर आप ऐसा क्यों नहीं कर सकते? आप क्या सोचते हैं कि- आपमें ऐसी कोई प्रतिभा नहीं, ऐसा हो ही नहीं सकता। दरअसल आपको अपनी प्रतिभा का पता ही नहीं। जरा फिर से सोचें- विचारें और बाहर कुछ खोजने की बजाय अपने अंतर्मन में छिपी प्रतिभा की तलाश करना शुरू कर दें। आप ध्यान और योग का सहारा ले सकते हैं। फिर आप स्वयं देखेंगे और पाएंगे कि किस तरह आपके नकारात्मक विचारों की जगह सकारात्मक और अर्थपूर्ण विचारों ने अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया है।

आपके अंदर जो प्रतिभा छिपी हुई है, अगर उसको बाहर निकालने में आप सफल हो जाते हैं, तो भले ही आप कम पढ़े- लिखे हों और दूसरे मामलों में भी कमजोर हों, तो भी उतनी ही सफलता प्राप्त कर लेंगे, जितनी अत्यधिक पढ़े-लिखे और योग्य लोगों के खाते में आ पाती है। विंस्टन चर्चिल कहते थे कि—एक निराशावादी व्यक्ति को हर अवसर में कठिनाई दिखती है, वहीं एक आशावादी व्यक्ति को हर कठिनाई में अवसर दिखता है। सकारात्मक सोच तन और मन दोनों को स्वस्थ रखने में अहम् भूमिका निभाती है। ऐसी सोच न केवल आपके जीवन को संतुलित रखने में मदद देती है, बल्कि आपके रोजमर्रा के अनुभवों को भी आप ज्यादा सुखद बना पाते हैं। इससे जीवन के किसी भी बदलाव के साथ खुद को बदलने में भी मदद मिलती है। हमारे विचार ही हमारे व्यक्तित्व का आईना होते हैं। अर्थपूर्ण और सार्थक विचारों से ही हमारा व्यक्तित्व निखरता है और हम खुले आसमान में उड़ान भरने का हौसला रखते हैं।

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