श्री गणेशाय नमः
श्री श्याम देवाय नमः
हम अपनी जिंदगी को सुंदर बना सकते हैं। क्योंकि यह सुंदरता हमारे भीतर मौजूद है। प्रतिकूलताओं में मन के समुद्र में भावों की ऊंची- नीची लहरें उठना स्वाभाविक है, पर समुद्र की तरह भीतर एकदम शांति होना आवश्यक है। प्रतिकूलता हमेशा के लिए नहीं हो सकती लेकिन यह भी सच है कि अनुकूलता भी स्थाई नहीं होती, फिर भी अपने भीतर मौजूद शांति का अनुभव करके जीवन को सफल किया जा सकता है। यदि हम क्रोध करते रहेंगे, डरते रहेंगे तो हमें क्रोध और डर का अभ्यास हो जाएगा। उसी तरह यदि हम शांति और मानव मूल्यों का अभ्यास करेंगे तो एक न एक दिन उस में माहिर अवश्य हो जाएंगे।
हमारे समाज में पैसे को सफलता से जोड़ कर देखने की प्रवृत्ति आम है। लोग यही सोचते हैं कि संघर्ष का अर्थ पैसे की कमी होना है। यही कारण है जो सौ रुपए कमाता है, उसे हजार चाहिए और जो हजार कमाता है उसे लाख चाहिए यानी उन्हें सुकून नहीं है। उसके भीतर शांति नहीं है। लेकिन आप कुछ भी करिए, कितना भी पैसा कमाइए। जब तक आपके भीतर शांति नहीं होगी, तब तक बाहर भी आप शांत नहीं रह पाएंगे।
हम हमेशा इसी डर में अपना जीवन व्यतीत करते हैं कि— भविष्य में क्या होगा? हम अपने वर्तमान में जीते ही नहीं। हमेशा भविष्य में ही रहते हैं। भविष्य क्या है? यह कभी सोचते ही नहीं। भविष्य तो हमारे जीवन का एक खाली पेज है। उसमें वर्तमान में रहकर हम जो अंकित करेंगे, उसी का फल हमारे भविष्य पर पड़ेगा। अगर हम इसी तरह डरते रहेंगे और भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो हम अपने वर्तमान को तो खराब करेंगे ही करेंगे साथ में अपना भविष्य भी नहीं बना पाएंगे। क्योंकि हमने भविष्य पर क्या लिखना है, यह हम पर ही निर्भर करता है।
जमैका के मशहूर गायक और संगीतकार थे— बाब मार्ले। उन्होंने दुनिया की समस्याओं को अपने गीतों में पिरोया। उनके गीतों को सुनने वाले खुद को, उनके जीवन जीने के तरीकों से और उनकी बातों से खास तरह का जुड़ाव महसूस करते थे। उसके प्रशंसक, उसके संगीत को वह जादू मानते थे, जिनसे आप चाह कर भी दूर नहीं जा सकते। बाब का मानना था कि— जीवन तो हमेशा नहीं रहता। हम यह भी नहीं जानते कि आगे क्या होने वाला है। इसलिए ऐसी जिंदगी चुनें जिसे आप प्यार करते हैं। ताकि जब कभी आपको पीछे मुड़कर देखने का मौका मिले तो पछतावा न हो। उनका कहना था कि मनुष्य की महानता उसमें नहीं है कि उसने कितनी कमाई की या कितनी संपत्ति अर्जित की। मनुष्य तब महान बनता है, जब वह अपने आसपास को अधिक से अधिक सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सके। यदि आप कहीं से शुरुआत नहीं करेंगें तो कहीं नहीं जा पाएंगे यानी आगे बढ़ने के लिए आपको कहीं से भी शुरुआत कर देनी चाहिए। अपनी आंखे खोलो और भीतर झांको। जो जिंदगी आप जी रहे हैं क्या आप उससे संतुष्ट है?
सुकरात ने भी कहा था कि— अपने, आपको जानो। आज मनुष्य सब कुछ जानने की कोशिश तो करता है परंतु अपने, आपको नहीं जानता। अपने आपको जानने की कोशिश ही नहीं करता। अगर वह अपने आप को जानने की कोशिश करे तो उसे शांति अपने भीतर ही मिल जाएगी। यह सच है, इस संसार में मनुष्य का जन्म होता और यह भी सच है कि एक दिन उसे इस संसार को छोड़कर चले जाना है। तब तक जीवन है, जब तक आप अपने अंदर आई श्वास को अपने जीवन में महसूस करते हैं। तब आपने ईश्वर का शुक्रिया करना चाहिए कि आप जीवित हैं।
मनुष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यही है कि उसका श्वास निरंतर चल रहा है। ईश्वर की कृपा से ही श्वास निरंतर आता जाता रहता है। इसलिए उसके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। जीवन है तो समस्याएं भी हैं। समस्याएं हमारी ही बनाई हुई हैं। समस्याओं का बोझ अमीर- गरीब सबके लिए बराबर है। एक सच्चाई यह भी है कि जीवन में निराशा है तो आशा भी है। सुबह सूर्य उदय होता है तो एक नई सुबह आती है। ठीक उसी प्रकार हमारा हर दिन आशाओं से भरा होना चाहिए। कल जो समस्याएं थी, वे आज समाधान बन सकती हैं। इसलिए अपनी जिंदगी को भरपूर जिएं और उसे सुंदर बनाएं।