Sunita Rani

171. कर्म योग

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः कर्म योग यानी कर्म के द्वारा ईश्वर के साथ योग अर्थात् कर्म करते हुए ईश्वर के साथ एकाकार हो जाना।अनासक्त होकर किए जाने पर प्राणायाम, ध्यान-धारणा आदि अष्टांग योग या राजयोग भी कर्म योग ही हैं।संसार में निवास करने वाले मनुष्य यदि अनासक्त होकर सिर्फ ईश्वर में भक्ति […]

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170. आत्मबल की शक्ति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आज के समय समस्त विश्व वैश्विक महामारी के अत्यंत कष्टदायक दौर से गुजर रहा है। इस स्थिति के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं क्योंकि हमने भौतिक संसाधनों के आकर्षण में आकर अपनी सनातन प्रवर्त्ति को तिलांजलि दे दी है। आज जब एक छोटे से अदृश्य वायरस ने चारों

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169. साधक और योगक्षेम

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि— भगवान के स्वरूप की प्राप्ति का नाम योग है और भगवान प्राप्ति के निमित्त किए हुए साधन की रक्षा का नाम क्षेम है अर्थात् भगवत प्राप्ति हेतु किए गए प्रयासों को ही योगक्षेम की संज्ञा दी गई है। कहने का

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168. मर्यादित जीवन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारे जीवन में मर्यादा का बहुत ही ऊंचा स्थान है। अगर हम यह कहें कि मर्यादित जीवन ही मनुष्य जीवन है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मर्यादा जीवन रूपी नदी के तट के समान है, जिसको तोड़ने से अपने ही नहीं बल्कि दूसरों के जीवन में भी सैलाब

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167. मानव की परीक्षा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः समस्त सृष्टि के संचालक ईश्वर, मानव की किसी न किसी रूप में जीवन पर्यंत परीक्षा लेते ही रहते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि— वे मानव से अत्यंत स्नेह करते हैं। ईश्वर गुरु के समान हैं तो मनुष्य शिष्य के समान। अज्ञानता के पथ पर भटकते हुए अपने

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166. चित्त की एकाग्रता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः एक बार स्वामी विवेकानंद अपने गुुरु भाई के साथ देश भ्रमण पर गए हुए थे। स्वाध्याय, सत्संग एवं कठोर तप का सिलसिला अनवरत जारी था। जहां पर भी कहीं अच्छे ग्रंथ मिलते, वे उनको पढ़ना नहीं भुलते क्योंकि विवेकानंद पढ़ने के बहुत शौकीन थे। इसलिए पुस्तकालय से उन्हें

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165. ईश्वर हमारे साथ हैं।

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः महान आध्यात्मिक गुरु परमहंस योगानंद जी अपनी पुस्तक— “मानव की निरंतर खोज” में लिखते हैं— मानव “कुछ और” की निरंतर खोज में व्यस्त है। जिससे उसे आशा है कि उसके मिल जाने पर उसे संपूर्ण एवं असीम सुख मिल जाएगा। उन विशिष्ट आत्माओं के लिए, जिन्होंने ईश्वर को

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164. प्रेम से करें, क्रोध को पराजित

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने के लिए मनुष्य हर समय संघर्ष करता रहता है, जिससे उसका सुख- चैन कहीं गुम हो जाता है। वह हर समय यही सोचता रहता है की मेरे पास और ज्यादा भौतिक वस्तुओं का भंडार हो और जब उसे वह मिल जाता है तो

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163. पुण्य कर्म

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः पुण्य कर्मों का अर्थ केवल वे कर्म नहीं हैं, जिनसे हमें लाभ होता हो, अपितु वे कर्म हैं, जिनसे दूसरों का भला भी होता हो।पुण्य कर्मों को करने का उद्देश्य मरने के पश्चात् स्वर्ग प्राप्त करना ही नहीं, अपितु जीते जी जीवन को स्वर्ग बनाना भी है।स्वर्ग प्राप्त

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162. ईश्वर की मौजूदगी

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः कोविड महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप धीरे-धीरे मंदा पड़ता जा रहा है, पर इसने देश के अंदर भय और पीड़ा का एक ऐसा मंजर छोड़ दिया है, जिसके निशान मिलना मुश्किल है। इस महामारी से बचने का अगर कोई कारगर तरीका है तो वह है, सिर्फ अपने

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