Sunita Rani

161. वास्तविक मूल्य

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आज के समय में मनुष्य का यह स्वभाव बन गया है कि— उसे जो वस्तु जितनी ज्यादा सहजता से उपलब्ध हो जाती है, वह उसका उतना ही कम मूल्य आंकता है। उसके दृष्टिकोण में किसी भी वस्तु का मूल्य उसके बाजार मूल्य से ही निर्धारित होता है। परंतु […]

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160. प्राण ऊर्जा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने चारों तरफ हाहाकार मचा रखा है और अभी तीसरी लहर आनी शेष है। यह वायरस मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है। चारों तरफ मौत ने अपना आतंक फैला रखा है। आज हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, ऐसा वक्त

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159. सुख की कुंजी

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः डब्ल्यू पी के किसेला के अनुसार— हम जो चाहते हैं, उसे पाना सफलता है। जो मिला है, उसे चाहना खुशी है। यकीनन संतोषी सोच से उपजी ऐसी खुशी और मन का ठहराव अच्छी सेहत, आत्मविश्वास और खुश मिजाजी की सौगात देने वाले होते हैं। हर हालात को संभालने

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158 जीवन गति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन में गति का अपना विशेष महत्व है। गतिमान व्यक्ति ही जीवन में उन्नति की ओर बढ़ते रहते हैं। हम सब एक गति में चल रहे हैं। अगर इसके विरूद्ध जाएंगे तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा। हमें जो अमूल्य जीवन मिला है, उसका सदुपयोग करते हुए हमें

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157. दुख में निहित है, सुख

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन में सभी मनुष्य सुख की कामना ही करते हैं। दुख तो कोई नहीं चाहता परंतु मनुष्य के चाहने या न चाहने से दुख नहीं आता। सुख और दुख तो हमारे कर्मों के अनुसार हमें प्राप्त होते हैं। हम जो कर्म करते हैं, उनके अनुसार हमें सुख और

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156. विपत्तिकाल—आस्था

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आस्था एक ऐसी औषधि है जो मनुष्य को किसी भी विपत्ति से बचा सकती है। आस्थावान व्यक्ति हमेशा खुश रहता है क्योंकि उसे अपने ईश्वर परअटूट विश्वास होता है। वह अच्छी तरह से जानता है कि मेरे ईश्वर, मेरे साथ कभी बुरा नहीं कर सकते। इसलिए वह हमेशा

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155. आत्मिक शांति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः एक बार थियोसोफिकल सोसाइटी से संबंध रखने वाला एक नवयुवक स्वामी विवेकानंद के पास गया। वह बहुत परेशान था। अशांत था। उसने दुखी होकर कहा— मैं शांति की खोज में बहुत दिनों से व्यस्त हूं। मैं मंदिर में जाकर मूर्ति के सामने घंटों आंख बंद करके बैठा रहता

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154. संकट से उबारता है, पारिवारिक संबल

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः कोरोना काल से पहले बहुत से लोगों का यह मानना था कि— एकल परिवार ही अच्छा होता है। एकल परिवार में हम अपनी मनमर्जी से कोई भी कार्य कर सकते हैं। अगर परिवार बड़ा हुआ तो सभी की परेशानियां बढ़ जाती हैं क्योंकि ज्यादा लोग एक-दूसरे के कार्य

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153. जीवन और मृत्यु

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवों को सबसे अधिक भय मृत्यु से होता है। अनंत काल तक पुनः पुनः जन्मते और मरते रहना ही महान भय है। इसी जन्म मृत्युरूप महान भय को भगवान ने आगे चलकर मृत्यु संसार सागर के नाम से कहा है। जैसे समुद्र में भी अनन्त लहरें होती हैं,

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152. प्राचीन भारत में शिक्षा व्यवस्था

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः शिक्षा की दृष्टि से पाश्चात्य विद्वानों ने भारत को हेय दृष्टि से ही देखा है। उनका मानना था कि भारत मूर्ख, अनपढ़, गवार और मदारियों का देश है। यद्यपि कुछ वर्षों से हमारे युवाओं ने कंप्यूटर, इंजीनियर, बायोकैमिकल तथा औषधि विज्ञान आदि क्षेत्रों में अपने ज्ञान और कर्मठता

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