95. कर्मों की गति
श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यह सार्वभौमिक सत्य है कि— प्रत्येक मनुष्य के भाग्य का निर्माण उसके कर्म ही करते हैं। इसलिए मनुष्य ही स्वयं का भाग्य विधाता है। भाग्य के निर्माण में कर्मों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्योंकि कर्म ही निर्णायक होते हैं। मनुष्य जैसे कर्म करता है, उसी के अनुसार …