65. निराश व्यक्तित्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आज के मशीनरी युग में ज्यादातर व्यक्ति निराशा रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं। उनके दिलो-दिमाग पर निराशा रूपी राक्षस ने अपना डेरा जमा रखा है। उनके चारों तरफ का वातावरण निराशा रूपी धुएं से भरा हुआ है, जिसमें से रोशनी की एक छोटी-सी भी उम्मीद भरी किरण …

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64. आत्मचिंतन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः महात्मा बुद्ध ने आत्मचिंतन के विषय में कहा है कि— “मनुष्य जितना अधिक आत्मचिंतन से सीख सकता है, उतना किसी बाहरी स्रोत से नहीं।” आत्मचिंतन की प्रवृत्ति वाला मनुष्य हमेशा अपने दोषों को सूक्ष्मता से देखता है और उनको अपनी आत्मिक शक्ति से दूर भी करने में समर्थ …

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63. सफल जीवन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सफल जीवन की कोई परिभाषा नहीं है। कैसा जीवन जिएं, जिससे हमें आनंद की प्राप्ति हो। इसके संबंध में सभी के अपने-अपने मत हैं। कोई यह नहीं कह सकता कि जीवन के संबंध में उसका मत ही सबसे अच्छा है, सर्वश्रेष्ठ है। प्रत्येक व्यक्ति का, जीवन जीने का …

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62. आत्मबल का प्रकाश

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः प्रकाश अपने आप में एक पूर्ण शब्द है। यह जीवन का पर्याय है। जीवन में कई बार अनुकूल और सकारात्मक परिस्थितियां होने के बावजूद भी किसी मनुष्य को उचित फल प्राप्त नहीं हो पाता। दरअसल इसका प्रमुख कारण कर्म से ज्यादा आसक्ती में लिप्त होना है। यहां पर …

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61. अपनी भूमिका पहचानें

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यह विश्व एक रंगमंच है और ईश्वर उसके निर्देशक हैं। इस संसार के सभी प्राणी कठपुतली हैं और उनकी डोर उस परम ब्रह्म ईश्वर के पास है, जो हमें कठपुतली की तरह नचाते रहते हैं। हम सभी मनुष्य मानो रंगमंच के पात्र हैं। हमें कब और किस समय …

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60. प्रकृति एवं संघर्ष

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य जीवन में सफलता की राह संघर्ष से ही खुलती है। लेकिन जब हम जीवन में संघर्ष से पीछा छुड़ाकर भागने लगते हैं, तो इससे कई नई समस्याओं और संघर्षों को आमंत्रित करते हैं। इस प्रकार हम समाधान निकालने की बजाय समस्या में और गहरे फंसते चले जाते …

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59. अर्थपूर्ण हों विचार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मन में विचार आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। विचार सबके मन में आते हैं। लेकिन विचार उसी के मान्य होते हैं, या महान् होते हैं, जो अर्थपूर्ण हों, जिनका अपना कोई अस्तित्व हो। इसलिए अर्थपूर्ण विचारों के लिए जरूरी है कि आपका दृष्टिकोण सकारात्मक हो। इसके लिए आप …

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58. दुख की अनुभूति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः दुख की अनुभूति तो अपनी मन: स्थिति पर निर्भर करती है। वह स्थूल न होकर निराकार होते हुए भी अति प्रचंड रूप ले सकती है। सत्य तो यह है कि—टेढ़े- मेढ़े रास्तों पर चलने से ही जीवन के कठिनतम पाठ कंठस्थ हो पाते हैं। जो जीवनयापन में अत्यंत …

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57.सहनशीलता‌

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सहनशीलता में एक ऐसी अद्भुत शक्ति समाई रहती है, जो आत्म चेतना को अमरत्व प्रदान कर अजेय बना देती है। दूसरी ओर जहां सहनशीलता का अभाव रहता है, वहां व्यक्ति के टूटने में ज्यादा देर नहीं लगती। वैसे भी इंसान की जिंदगी हर घड़ी इम्तिहान लेती हैै और …

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56. उम्मीद—”वो” है ना

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन में प्रत्येक कार्य के लिए बढ़िया योजना, अनुकूल परिस्थिति, धैर्य, सकारात्मक दृष्टिकोण और अपार मेहनत की जरूरत पड़ती है। यदि आप किसी काम को हर हाल में शुरू कर सफल होना चाहते हैं, तो उससे जुड़ी सारी जानकारियां जुटाएं, सारे उपलब्ध साधनों को जुटाएं और उस समय …

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