261. संत वाणी

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः देखा जाए तो हमारा समस्त जीवन प्रायः असंतुष्ट दोषारोपण में ही व्यतीत हो जाता है। आनंद की प्राप्ति के लिए मनुष्य न जाने क्या- क्या प्रयोजन करता रहता है? लेकिन फिर भी उसे आंतरिक सुख प्राप्त नहीं होता। मन की व्यथा और द्वंद्व से मुक्ति पाने के लिए …

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260. जीवन सर्वभूत है।

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन सर्वभूत है अर्थात् जीव-जंतु, पेड़-पौधे और आकाश- पृथ्वी सभी में सांस है, चेतना है। सभी में एक प्रकार की गति है, जिसकी वजह से यह प्रमाणित होता है कि— सभी में जीवन है। हम जीवन को बांट कर नहीं देख सकते। सभी तत्वों में एक चैतन्य ऊर्जा …

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259. संतुलन, जीवन का

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः एक आश्रम में कुछ शिष्य अध्ययन करते थे। शिष्यों के मन में कोई न कोई जिज्ञासा हिलोरे मारती ही रहती थी। इसलिए वे अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए गुरु जी से प्रश्न पूछते रहते थे। जिससे उनकी जिज्ञासा शांत हो सके। एक दिन एक शिष्य गुरु …

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258. आध्यात्मिक उन्नति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यह दुर्लभ मानव जीवन संसार की अनमोल उपलब्धि है। आत्मिक विशेषताओं के कारण ही मनुष्य इस सृष्टि का मुकुट मणि है। यही कारण है कि मनुष्य का गौरव एवं उत्तरदायित्व भी महान है। आत्मा की शक्तियों का निरंतर संवर्धन एवं सदुपयोग करना ही मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति का …

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257. जीवन- मृत्यु

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः एक यात्रा जन्म से प्रारंभ होकर, उसकी मृत्यु पर समाप्त होती है। आत्मा की यात्रा अनंत है, क्योंकि आत्मा अजर- अमर है। लेकिन शरीर की यात्रा काल खंडों में विभक्त है। जीवन- मृत्यु से अभिप्राय यहां शरीर की यात्रा से है। शरीर ही जन्म लेता है और शरीर …

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256. क्रोध

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मानवीय संवेदनाएं कहीं सकारात्मक ऊर्जा और कहीं नकारात्मक ऊर्जा वहन करती हैं। क्रोध नकारात्मक ऊर्जा का भाव है। क्रोध इच्छाओं के अवरोध से उत्पन्न होता है। इच्छाएं बहुत सरल और स्वभाविक भी हो सकती हैं या फिर दुष्कर और अस्वभाविक। मानव स्वभाव स्वार्थ और अहंकार जैसे अवगुणों से …

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255. संत स्वभाव

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य के स्वभाव से ही उसके व्यक्तित्व का निर्धारण होता है। जिस व्यक्ति का स्वभाव अच्छा होता है। वह लगभग सभी का प्रिय बन जाता है। अच्छे स्वभाव वाले मनुष्य को ही लोग संत स्वभाव वाला कहते हैं। अच्छे कर्म करने की आदत होने पर स्वभाव में सरलता …

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254. धैर्य का परिणाम

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः एक कहावत है कि— वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा कुछ नहीं मिलता। किस्मत की डोर तो कर्म के हाथों में बंधी होती है। आप जैसे कर्म करते हैं, वैसा ही फल आपको किस्मत के रूप में प्राप्त होता है। परंतु समय से पूर्व अभीष्ट की पूर्ति …

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253. आलस्य

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः एक चींटी और कछुए में मित्रता थी। चींटी का स्वभाव है कि— वह हर समय काम करती रहती है। चींटी मेहनती होती है लेकिन कछुआ आलसी होता है। वह चींटी को काम करते हुए देखकर यही कहता कि तुम व्यर्थ में क्यों इतना काम करती हो। मेरी तरह …

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252. कर्मफल

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः इस भौतिक संसार में ईश्वर ने जड़ और चेतन दो प्रकार की सृष्टि की रचना की। जीवों की सृष्टि के कर्म में उसने सबका मंगल करने के लिए मनुष्य को बुद्धि, विवेक से अलंकृत कर जीवों में श्रेष्ठतम स्थान प्रदान किया। यही कारण था कि उस पर वन्य …

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