18. कोरोना और जड़ी-बूटी

ऊँ
श्री गणेशाय नम्ः
श्री श्याम देवाय नम्ः

कोरोना वायरस ने इस समय पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया हुआ है। क्योंकि अभी तक इस वायरस का कोई स्थाई उपचार नहीं खोजा गया है। इसलिए यही सलाह दी जा रही है, कि किसी तरह इसके संक्रमण में आने से बचा जाए। चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना कोविड-19 [CORONA (COVID 19 COrona VIrus Disease of 2019)] ने महामारी बनकर पूरे विश्व की चिकित्सा, वित्त, नागरिक, एवं सांस्थानिक व्यवस्थाओं को हिला कर रख दिया है। कोविड-19 के संक्रमण का नियंत्रण व समाधान केवल सरकारी तंत्र का दायित्व नहीं है, बल्कि इसके प्रत्ति हमारा भी कर्तव्य बनता है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण हमें भी सरकारी प्रयासों के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। सरकारें अपने स्तर पर कदम उठा रही हैं। निर्णायक नियंत्रण जनता को ही करना है, क्योंकि सरकारी प्रयास भी नागरिकों के प्रयास पर निर्भर है। हमें यह समझ लेना चाहिए कि, किसी को देखने से यह पता नहीं चलता कि, वह संक्रमण से ग्रस्त है या नहीं। क्योंकि संक्रमण के लक्षण जैसे बुखार, खांसी एवं सांस फूलने में दिक्कत आदि सामने आने में 12 से 14 दिन लगते हैं। यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है।

इन दिनों सभी अपनी-अपनी क्षमता और ज्ञान के आधार पर इस वायरस से बचाव के सुझाव पेश कर रहे हैं। इस समय सोशल मीडिया पर अफवाहों का दौर भी चल रहा है। ऐसे में पूरे विश्व में सभी मानव-जन परेशान और तनाव से ग्रस्त है। उनको समझ में नहीं आ रहा की इस विपदा से बाहर कैसे निकला जाये, इस मुसीबत के समय में, मैं अपने सुझाव पेश करके अपना थोड़ा-सा योगदान देना चाहती हूं। अनुसंधान में यही बात सामने आई है कि हमें अपने इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाना है। ऐसे में, मैं आप सभी का ध्यान अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति की तरफ ले जाना चाहती हूं।

  1. तुलसी – ऐसे में तुलसी जो एक दिव्य पौधा है, हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। तुलसी के पौधे को हमारी संस्कृति में बहुत पवित्र माना गया है। हमारे देश में शायद ऐसा कोई घर हो जहां तुलसी के पौधे को अपने घर में जगह न दी जाती हो। भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है। भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है। धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है। तुलसी एक जड़ी-बूटी है। लाभकारी गुणों की वजह से आयुर्वेद में इसे जड़ी-बूटियों की रानी कहा गया है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-पायरेटिक, एंटी-सेप्टिक, एंटी -ऑक्सीडेंट और एंटी -कैंसर गुण होते हैं। इसके पत्ते, तना तथा बीज सभी का प्रयोग आयुर्वेदिक औषधि के तौर पर किया जाता है। इसके अतिरिक्त एलोपैथी, होम्योपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। मृत्यु  समय नजदीक आने पर तुलसी  की बड़ी महिमा है।व्यक्ति के गले में कफ जमा हो जाने के कारण श्वसन क्रिया एवं बोलने में रुकावट आ जाती है। तुलसी के पत्तों के रस में कफ फाड़ने का विशेष गुण होता है। इसलिए शैया पर लेटे व्यक्ति को यदि तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस पिला दिया जाए तो व्यक्ति के मुंह से आवाज निकल सकती है। ऐसा हमारी पुरातन संस्कृति में माना गया है।
  2. काली मिर्च – सर्दी-खांसी के लिए काली मिर्च का सेवन प्राचीन समय से किया जाता रहा है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। जो आपको सर्दी-खांसी से राहत दिलाने में  इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं। काली मिर्च तनाव और डिप्रेशन में भी फायदेमंद होती है। काली मिर्च में पिपेरिन पाया जाता है, जो सेरोटोनिन (दिमाग को शांत रखने वाला केमिकल) के उत्पादन को बढ़ावा देता है। सेरोटोनिन तनाव और अवसाद को कम करने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा यह मस्तिष्क में बीटा-एंडोर्फिन को भी बढ़ाता है, जो प्राकृतिक दर्द निवारक और मूड ठीक करने के काम आता है। काली मिर्च में एंटी -ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर में पैदा होने वाले फ्री-रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।

इस्तेमाल करने का तरीका – मेरा अनुभव है कि यदि हम तुलसी के पत्तों का गाड़ा (काढ़ा) बनाकर पियें, तो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी। अगर आपको तुलसी के पत्ते नहीं मिल रहे तो आप उसकी जड़, तना कुछ भी ले सकते हैं, इसको आप एक चाय के चम्मच के बराबर ले सकते हैं और अगर पत्ते हैं तो 8 से 10 ले सकते हैं ज्यादा छोटे पत्ते हैं, तो 15 से 16 तक लिए जा सकते हैं। इसको एक गिलास पानी में तब तक उबालना है, जब तक यह आधा गिलास न रह जाए। उसके बाद आप इसको छानकर चाय की तरह पी सकते हैं। आप इसमें 5 से 7 साबुत काली मिर्च भी डाल सकते हें। जब आधा गिलास रह जाएगा तो तुलसी और काली मिर्च का अर्क निकल जाएगा, जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर साबित होगा। सभी ने तुलसी का प्रयोग अपने अनुसार बताया है, आपको जो तरीका अच्छा लगे वैसा करना। हमारा मुख्य उद्देश्य तो अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना ही है। ताकि हम कोरोना के संक्रमण से बचे रहें। काली मिर्च डलवाने से मेरा अभिप्राय यह है कि आज सभी तनाव और अवसाद की स्थिति में है। काली मिर्च हमारे मूड को ठीक करके हमें अवसाद से बाहर निकालने का कार्य करेगी, साथ ही साथ रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है। अगर आप कली मिर्च को गाड़े में नहीं डालना चाहते तो अपने खाने में भी काली मिर्च का सेवन कर सकते हैं, आप इसे सब्जी में डालिए, सलाद पर डालिए, जैसा आपको ठीक लगे और जितनी मात्रा में इसका उपयोग करना चाहे कर सकते हैं। बस अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिए, ज्यादा मात्रा में  ग्रहण मत कीजिए, वरना एसिडिटी की शिकायत हो सकती है।

कोरोना संक्रमण से ठीक होने की संभावना भी अन्य वायरल बीमारियों के समान ही है, इसलिए घबराने की आवश्यकता नहीं है। कोरोना नया वायरस होने के कारण अभी किसी के पास उसके निदान का उपचार नहीं है। मानव जाति और वायरस, बैक्टीरिया एवं अन्य रोगजनक कीटाणुओं में संघर्ष युगों से चल रहा है, और इस संघर्ष में जीत सदा मानव एवं उसकी प्रतिभा की हुई है। इस बार भी विजयी मानव ही होगा। बस हमें सतर्क रहकर इस वायरस को फैलने से रोकना होगा और सरकार के कार्यों में अपना सहयोग देना होगा।

2 thoughts on “18. कोरोना और जड़ी-बूटी”

  1. बहुत एक से आपने इस वायरस के बारें मे और इससे लड़ने का तरीका बताया है, और साथ ही साथ इस्क उपाय भी।

  2. यह बताने के लिए शुक्रिया आपका। आप और आपका परिवार सुरक्षित रहे!

Leave a Comment

Shopping Cart
%d bloggers like this: