192. शुभ- मुहूर्त से महत्वपूर्ण, शुभ-कर्म

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

शुभ- कर्म, शुभ- मुहूर्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं क्योंकि शुभ- मुहूर्त तो महज किसी कार्य के अच्छे परिणाम के लिए राह आसान करता है लेकिन शुभ कर्म के सदैव अच्छे ही परिणाम होते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो न कभी रावण नाकामयाब होता और न ही दुर्योधन पराजित होता। रावण तो स्वयं ज्योतिष का बहुत बड़ा ज्ञाता था। वह तो प्रत्येक कार्य शुभ- मुहूर्त देखकर ही करता था, फिर वह असफल कैसे हो गया?

बहुत से लोगों को यह पता भी नहीं होगा कि श्री राम ने अपने पिता राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए एक पूजा करवाई थी। उस समय श्री राम को कोई पंडित नहीं मिल रहा था क्योंकि वे लंका में थे। तब विभीषण ने श्री राम को यह बताया था कि उनके भाई लंकेश बहुत बड़े पंडित और ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता हैं इसलिए आप उनसे पूजा करवा सकते हो। तब हनुमान जी लंकेश के पास श्री राम का संदेश लेकर गए थे और कुछ समय आनाकानी करने के बाद रावण ने श्रीराम का संदेश स्वीकार कर लिया था तत्पश्चात् स्वयं रावण ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए पूजा करवाई थी और इस पूजा के एवज में उन्होंने श्रीराम से दक्षिणा भी ग्रहण की थी।

वैसे भी सभी राजा- महाराजाओं के पास अपने खास ज्योतिषी होते थे अर्थात् शुभ समय जानने की सुविधा सभी के पास थी। दरअसल किसी शुभ समय में प्रारंभ किए गए कार्य का परिणाम अच्छा होता है लेकिन सूक्ष्मता से ऐसे शुभ क्षण को पहचानना और कार्य आरंभ करना बहुत मुश्किल होता है। आप अक्सर देखते होंगे की अच्छे ज्योतिषी से पूछने और शुभ मुहूर्त में कार्य प्रारंभ करने के बाद भी हमें नाकामयाबी हासिल होती है। इसका क्या कारण हो सकता है, कभी यह जानने की कोशिश की?

दरअसल जिनके इरादे नेक नहीं होते वे कभी भी शुभ मुहूर्त में कार्य आरंभ नहीं कर पाते। कोई न कोई अड़चन आती ही रहती है और उनका शुभ समय निकल जाता है। लेकिन जो शुभ संकल्प के साथ कार्य आरंभ करते हैं, उन्हें शुभ मुहूर्त अपने आप मिल जाता है क्योंकि ऐसे मनुष्य ईश्वर को साक्षी मानकर कार्य को प्रारंभ करते हैं। वे सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देते हैं और भला जिस कार्य में ईश्वर की मौजूदगी हो वह समय शुभ कैसे नहीं होगा और उस कार्य में कैसे सफलता प्राप्त नहीं होगी।

मुहूर्त के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग मान्यताएं और विश्वास हैं। कहीं चौघड़िया महत्पूर्ण है तो कहीं राहुकाल। कहीं तिथि उपयोगी है तो कहीं वार। इसलिए कई बार एक क्षेत्र में जिस समय को शुभ मुहूर्त माना जाता है, किसी अन्य क्षेत्र में वही समय शुभ नहीं माना जाता। बाधारहित कामयाबी के लिए शुभ समय में कार्य शुरू करने का महत्व है लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि विश्वास, प्रसन्नता और शुभ संकल्प के साथ कार्य आरंभ किया जाए।

1 thought on “192. शुभ- मुहूर्त से महत्वपूर्ण, शुभ-कर्म”

Leave a Comment

Shopping Cart
%d bloggers like this: