98. जीवन और संघर्ष

श्री गणेशाय नमः

श्री श्याम देवाय नमः

जीवन है तो संघर्ष है। संपूर्ण मानव जीवन ही संघर्ष का पर्याय है। संघर्ष जीवन के साथ ही प्रारंभ होता है और जीवन पर्यंत चलता रहता है। इसलिए संघर्ष को जीवन का सत्य मानकर प्रत्येक व्यक्ति को उसे सहर्ष स्वीकार करते हुए अपने जीवन का हिस्सा बना लेना चाहिए। यह भी सच है कि जब हम संघर्ष करते हैं, तभी हमें अपनी क्षमता और सामर्थ्य का पता चलता है। क्योंकि संघर्ष ही जीवन को तरासता, निखारता और संवारता है। संघर्ष से ही मनुष्य सही अर्थों में जीना सीखता है। कठिनाइयों से पार कैसे पाया जाए, यह संघर्ष ही सिखाता है। संघर्ष करने से ही मनुष्य में अनुभव आता है और उस अनुभव से ही वह जीवन जीना सीखता है।

संघर्ष ही है जो हमें जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। बगैर संघर्ष तो जीवन उस तितली के समान है, जो ताउम्र उड़ान नहीं भर सकी।
एक बार की बात है तितली का एक बच्चा ककून (खोल) से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहा था। एक व्यक्ति वहां बैठा हुआ था और वह तितली के बच्चे के उस संघर्ष को देख रहा था। बहुत समय व्यतीत हो चुका था, पर ककून से बाहर निकलती नन्ही तितली लगातार प्रयास कर रही थी। लेकिन बाहर नहीं निकल पा रही थी। उस व्यक्ति से उसका कष्ट देखा नहीं गया। बिना देर लगाए उसने कैंची ली और ककून के शेष बचे हुए हिस्से को काट कर तितली को बाहर निकाल दिया। बाहर निकली नन्ही तितली के पंख अभी विकसित नहीं हुए थे। शरीर भी सुझा हुआ था। उस व्यक्ति ने महसूस किया कि उसने मदद के नाम पर कोई बहुत बड़ी गलती कर दी है। वह समझ गया था कि ककून से बाहर आने के लिए दरअसल, तितली को जिस संघर्ष की जरूरत थी, वह नहीं कर सकी। वह एक अनिवार्य प्रक्रिया थी जो पूरी नहीं होने के कारण तितली ताउम्र उड़ान नहीं भर सकी। जिस प्रकार तितली के विकास के लिए संघर्ष जरूरी है, उसी तरह हमारी शक्तियां भी ऐसे ही दुरूह संघर्ष के दौरान ही विकसित होती हैं। इसलिए जीवन में बाधाएं और चुनौतियां जरूरी है।

एक जापानी कहावत है कि— पत्थर और पानी के बीच संघर्ष में अंतत: पानी जीतता है। संघर्ष के महत्व को ध्यान रखते हुए हमें यह बात अच्छी तरह से समझनी होगी कि अक्सर जीवन में संघर्ष और कठिनाइयां हमारे आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए ही होते हैं। संघर्ष से हमें बिल्कुल भी भयभीत नहीं होना चाहिए। कितनी भी बड़ी मुश्किल और विषम परिस्थितियां क्यों ना हो, विजय हासिल करने का एक ही विकल्प है कि पूरे आत्मविश्वास के साथ संघर्ष करना। जो संघर्ष से बच कर चलते हैं, वे कायर होते हैं। दूसरी तरफ जो व्यक्ति संघर्ष का स्वागत करता है, वह एक न एक दिन सफल होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है।

दरअसल संघर्ष एक ऐसा अनुभव है, जिससे हम सब परिचित है। लक्ष्य प्राप्ति या किसी क्षेत्र में कामयाबी इस अनुभव के बिना नहीं मिल सकती। यह वह कुंजी है, जिससे कामयाबी की राह खुल सकती है। संघर्ष से आपको भले ही कड़वा अहसास मिला हो, उसके कारण स्वयं को पीड़ित महसूस करते हों, पर एक समय के बाद स्वयं देखना यही हमें मंजिल तक पहुंचाहता है। यह हमें ऐसे सांचे में गढता है, जो हमें समाज में एक पहचान देता है। यह हमें हमेशा स्मरण रखना चाहिए कि बिना संघर्ष के किसी को अपनी मंजिल नहीं मिली।

हमें यह सदैव स्मरण रखना होगा कि—बिना संघर्ष के किसी को भी अपनी मंजिल नहीं मिली। संसार रूपी सागर की ऊंची- उफनती लहरों को जिसने चुनौती देना सीख लिया, सफलता की अनुपम मणियां उसी ने बटोर ली। जो डर कर किनारे बैठ गया, वह तो जीवन से ही हार गया। इसलिए हमें जीवन में संघर्षों का स्वागत करना चाहिए। जो भी मनुष्य महान बने हैं, यह संघर्ष करके ही इतिहास में अपना नाम दर्ज कर पाए। क्योंकि उन्होंने संघर्ष के सामने घुटने नहीं टेके। संघर्ष इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि यह हमें बताता है कि किसी उपलब्धि व सफलता को प्राप्त करने लिए हमें कितना परिश्रम और पुरुषार्थ किया है। तभी हम उस उपलब्धि का महत्व और मूल्य समझ पाते हैं।

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