Sunita Rani

131. अहंकार का त्याग

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः श्रीमद् भागवत गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि— जब कोई कामना की पूर्ति नहीं होती तो क्रोध उत्पन्न होता है, क्रोध से लोभ तथा लोभ से मोह और फिर अहंकार पैदा होता है। अहंकार से मनुष्य जाति का जितना अहित होता है उतना किसी और काम […]

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130. अंतःकरण की ज्योति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य में अनुभूति के दो सत्र होते हैं— बाह्यकरण और अंतःकरण।आज के समय मनुष्य का जीवन बाहर की ओर प्रवृत्त है।सुख- सुविधाओं को प्राप्त करने के चक्कर में वह निरंतर दौड़ने को बाध्य है। उसके पास थोड़ा-सा भी ठहर कर, विचार करने का वक्त नहीं है। जिससे वह

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129. प्रार्थना

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः प्रार्थना ब्रह्मांड की महानतम शक्ति— ईश्वर से संबंध जोड़ने की एक प्रक्रिया है।प्रार्थना में एक भक्त अपने इष्ट देव के सामने नतमस्तक होकर विनती करता है की — हे ईश्वर! मेरे इस कार्य को सिद्ध कीजिए अर्थात् मेरे इस कार्य को पूरा कर दीजिए। इस तरह भक्त अपने

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128. धर्म का स्वरूप

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः धर्म मंगलमय जीवन का आधार है। धर्म के पथ पर चलकर ही मनुष्य अपने जीवन को संवार सकता है क्योंकि मनुष्य प्रकृति की सबसे अद्वितीय, विशिष्ट एवं अनमोल कृति है। प्रकृति ने मनुष्यों को तरह-तरह के संसाधनों से सुसज्जित किया है। प्रकृति ने सिर्फ हमें ही नहीं अपितु

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127. ईश्वर कहां है

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्नों में एक यह है कि— ईश्वर कहां है? वास्तविकता क्या है? ईश्वर सच में है भी या सिर्फ कल्पना है। विज्ञान ने आज बहुत तरक्की कर ली है। हमारे पास अंतरिक्ष का पता लगाने के लिए शक्तिशाली दूरबीन और स्पेसशिप हैं। माइक्रोस्कोप के

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126. वाणी की उपयोगिता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः वाणी ईश्वर के द्वारा मनुष्य को प्रदान किया गया एक अनुपम उपहार है। वाणी के द्वारा ही हमारा व्यक्तित्व झलकता है। वाणी के द्वारा हम अपने विचारों और भावों को अभिव्यक्त कर सकते हैं तथा अपने प्रसन्नता व पीड़ा को भी एक- दूसरे के साथ बांट कर सकते

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125. सत्य की शक्ति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनीषी कहते हैं कि— “मनसा वाचा कर्मणा” यानी मन, वचन और कर्म से सत्य बोलना चाहिए। जो विचार मन में हों, वही वाणी में भी होनी चाहिए और उसी के अनुरूप ही मनुष्य का व्यवहार होना चाहिए।सत्य अनुपम मानवीय गुण है। मनुष्य के जीवन में सत्य बहुत महत्वपूर्ण

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124. आशा और निराशा

श्री गणेशाय नमः श्याम देवाय नमः आशा और निराशा दोनों साथ-साथ चलती हैं। यह निर्णय हमें करना है कि हम आशा को ज्यादा महत्व देते हैं या निराशा को। हमारे मन की संरचना कैसी हो? उसे कैसा बनाना है? हमारी आदतें, विश्वास और वे कौन से तरीके हैं जिनकी सहायता से हम आशा की ओर

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123. खुशी

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के सलाहकार जेमी इलियन ने पहली बार 2006 में इसका प्रस्ताव रखा था। उसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जुलाई 2012 में इसे मनाने की घोषणा की और पहला अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस 20 मार्च 2013

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122. जीवन का उद्देश्य

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य जीवन एक अमूल्य ईश्वरीय देन है। जीवन का उद्देश्य इस संसार में जन्म लेकर सिर्फ अपनी सांसे पूरी कर इस दुनिया को अलविदा कहना मात्र नहीं है बल्कि यह जीवन तो इतिहास बनाने का नाम है। यह एक ऐसा मंच है, जहां पर मनुष्य अपना हर सपना

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