Sunita Rani

92. अहितकारी ईर्ष्या

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जब हम किसी कार्य में असफल हो जाते हैं और हम देखते हैं कि कोई हमारा जानने वाला, सफलता हासिल कर लेता है तो हमारे मस्तिष्क में ईर्ष्या के भाव पनपने लगते हैं। ईर्ष्या हमेशा अहितकारी ही होती है, कोई बिरला ही होगा जिसने ईर्ष्या करके अपने जीवन …

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91. सद्- संकल्प

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जिस प्रकार अभिमान करना पाप है, बंधन है। उसी प्रकार स्वयं को दीन-हीन समझना भी पाप है, बंधन है। अक्सर माता-पिता अपने बच्चों के लिए अपमानजनक और हीनतासूचक भाषा का उपयोग करते रहते हैं। यह सही नहीं है। ऐसे में उनके कोमल हृदय में एक टीस पैदा होती …

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90. संबंधों का मायाजाल

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः परमात्मा का संबंध हर जीव से, बच्चे की तरह है। जिस प्रकार मां को अपने हर बच्चे की भूख-प्यास, दुख-सुख, का अहसास हो जाता है, उसी प्रकार परमात्मा को भी अपने हर जीव का पता रहता है। क्योंकि परमात्मा ही हर जीव को जन्म देता है, उसकी हर …

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89. मौन का महत्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आधुनिक जीवन शैली में मौन का महत्व चमत्कार उत्पन्न करने में सक्षम है। जब व्यक्ति दिन भर कार्यों में व्यस्त रहता है तो तनाव के मकड़जाल में फंस जाता है। उसी समय मौन का सामीप्य उस पर मातृवत् प्रेम बरसाता है। कहा गया है -मौन सर्वार्थ साधनम् यानी …

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88.कर्मक्षेत्र

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जिस प्रकार पुराणों में वर्णित है कि—ब्राह्मणों का आभूषण विद्या, पृथ्वी का आभूषण राजा, आकाश का आभूषण चंद्र एवं समस्त चराचर का आभूषण शील है, उसी प्रकार मनुष्य का आभूषण उसके कर्म हैं। इस संसार में कर्म ही प्रधान है। इतिहास गवाह है कि भीम, अर्जुन आदि राजपुत्रों …

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87. युवाओं के प्रेरणापुंज— स्वामी विवेकानन्द

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः युवाओं के प्रेरणापुंज, युगपुरुष, वेदांत दर्शन के पुरोधा, मातृभूमि के उपासक, विरले कर्मयोगी, मानव सेवक एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी— स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके प्रेरक व्यक्तित्व का जितना महिमामंडन किया जाए, कम जान पड़ता है। वे युवाओं के लिए …

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86. परिवार की महत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे सामाजिक प्राणी इस परिवार रूपी संस्था के कारण ही तो माना जाता है। लेकिन आज उसी परिवार के प्रति, आज की पीढ़ी का उपेक्षित व्यवहार बहुत सारी सामाजिक समस्याओं का आधार है। परिवार हमारी संस्कृति की रीढ़ है। इस परिवार रूपी संस्था …

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85. अज्ञानता रूपी अहंकार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः अज्ञानता रूपी अहंकार एवं अंधकार में डूबा मनुष्य हर अच्छे काम का श्रेय स्वयं को देने का भ्रम करता रहता है। लेकिन इस रहस्य से प्रायः अनभिज्ञ रहता है कि यदि किसी भी अच्छे, उत्तम एवं सफल काम का मूल केवल वही है, तो फिर वह कार्य उसके …

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84. एकांतवास का महत्त्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नम एकांतवास का शाब्दिक अर्थ है— अकेले रहना। अपने जीवन में कुछ समय भौतिक जंजाल एवं दुनियादारी से अलग होकर रहना ही एकांतवास है। कोरोना काल में, लॉकडाउन के समय यह शब्द काफी प्रचलन में आया। हमारे में से प्रत्येक एकांत में जाने की बात कर रहा था। हमारे …

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83. पाएं, भय से मुक्ति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः भय एक ऐसा भाव है, जिससे मनुष्य अपना पूरा जीवन जूझता ही रहता है। वह अपना पूरा जीवन भय के साए में ही गुजार देता है। वह हमेशा भयग्रस्त रहता है। भयभीत वातावरण में सद्गुण भी दुर्गुण बन सकते हैं। सत्प्रवृत्तियां कमजोर पड़ जाती हैं। भय भी विभिन्न …

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