Sunita Rani

231. जीवन यात्रा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः भगवद् गीता में कहा गया है कि— मानव जीवन को प्राप्त करना विजय नहीं है बल्कि जीवन में संघर्ष करते हुए विजय प्राप्त करना ही जीवन की सफलता है। मानव रूप में जन्म लेकर मनुष्य बहुत चिंतन मनन करता रहता है। जीवन को सुचारू रूप से चलायमान रखने […]

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230. अपना मूल्य पहचानें

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य की एक आदत है कि— वह कुछ कार्यों को तुरंत कर लेता है और कुछ को अगले दिन के लिए छोड़ देता है। लेकिन ज्यादातर वही कार्य अगले दिन पर छोड़े जाते हैं जो अधिक महत्वपूर्ण नहीं होते। क्योंकि मनुष्य अपनी सफलता का मूल्यांकन भौतिक वस्तुओं की

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229. आध्यात्मिक पेंशन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आध्यात्मिक पेंशन से अभिप्राय है— आत्मिक शांति या आध्यात्मिक शांति।यह सिर्फ प्रभु भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है। परंतु हमारे समाज में मनुष्य की यह विडंबना ही है कि वह अध्यात्मिक पेंशन को जानता ही नहीं। वह सिर्फ मौद्रिक पेंशन को ही जानता है। इसलिए अज्ञानी मनुष्य

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228. सदैव सत्य बोलें

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनीषी कहते हैं कि— “मनसा वाचा कर्मणा” यानी मन, वचन और कर्म से सत्य बोलना चाहिए।जो विचार मन में हों, वही वाणी में भी होने चाहिएं और उसी के अनुरूप ही मनुष्य का व्यवहार होना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि मन, वचन और कर्म से अलग रहने

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227. उत्साह

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः रामायण में महर्षि बाल्मीकि लिखते हैं— उत्साह से बढ़कर कोई बल नहीं है। उत्साही पुरुष के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है।कहने का अर्थ यही है कि बलवान व्यक्तियों का सबसे कीमती आभूषण उनका उत्साह ही है। कभी पत्थरों से आग जलाने वाले मानव ने अब

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226. सत्य की शक्ति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सत्य अर्थात् जैसा देखा, जैसा सुना और जैसा अनुभव किया, उसे वैसा ही कहना और उसी के अनुरूप अपने जीवन को ढालना सत्य कहलाता है। सत्य जो पूरी तरह यथार्थ या संपूर्ण हो। जिसमें जरा- सी भी अपूर्णता ना हो, किसी तरह का दोष ना हो। सत्य के

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225. प्रभु लहर

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः इस संसार में इंसान के जीवन में सुंदरता, मादकता एवं आकर्षण तभी तक सुंदर और उपयोगी है, जब तक इसमें प्रभु रूपी सांसो की लहर विद्यमान है। इस संसार से परे परब्रह्मस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वकर्ता, निर्मल, स्वयंप्रकाश, आदि-अंत से रहित, निर्गुण और सच्चिदानंद स्वरुप परब्रह्म हैं, उसी के अंश

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224. सद्व्यवहार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आज के समय में प्रत्येक मनुष्य को कोई न कोई कारण हमेशा परेशान करने के लिए मौजूद रहता है। जिससे उसके सद्व्यवहार और शिष्टाचार में कमी दिखाई पड़ती है। लेकिन आज के दौर में आप किसी भी स्थान पर हों, चाहे सभागार, स्कूल, कॉलेज, कार्यक्षेत्र या घर में

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223. जागृत रहो

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य जीवन का प्रत्येक क्षण मूल्यवान है। जो क्षण बीत गया वह कभी लौट कर वापस नहीं आता। इसलिए मनुष्य के लिए यह आवश्यक है कि वह प्रत्येक क्षण जागृत रहे क्योंकि इस संसार में मनुष्य का जन्म ही जागने और जगाने के लिए हुआ है। जब वह

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222. विसर्जन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः विसर्जन हमें मोह माया से मुक्ति का रास्ता दिखलाता है। हमारी आसक्ति को क्षीण करता है और हमारी लोभ प्रवृत्ति को शांत करता है। जिसके अंतर्मन में विसर्जन का भाव जागृत हो गया, समझो वह व्यक्ति संत हो गया। आदि शंकराचार्य के बारे में कहा जाता है कि—एक

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