Sunita Rani

221. आस्तिकता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आस्तिकता का सर्वाधिक लोकप्रिय आधार ईश्वर में आस्था से है। जगत् का सृजन, पालन और संहार ईश्वर की लीला है। सनातन धर्म में ईश्वर को पूर्ण माना गया है। वे सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और पूर्णस्वतंत्र हैं।हमारी सनातन परंपरा में आस्तिकता के तीन प्रमुख आधार माने गए हैं।पहला- वेद में […]

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220. परोपकार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसके समाज के प्रति कुछ कर्तव्य भी होते हैं। लेकिन आज के समय में मनुष्य स्वार्थी हो गया है। परोपकार की भावना को उसने तिलांजलि दे दी है। वह हर समय अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचता रहता है। वह परोपकार की

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219. एकाग्रता की महत्ता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मन की एकाग्रता हमारी शक्ति की आधारशिला बनती है। यह जीवन की समस्त शक्तियों को समाहित कर मानसिक क्रांति उत्पन्न करती है। जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने में एकाग्रता की बहुत महत्ता है। आधुनिक विज्ञान की दृष्टि में एकाग्रता की महत्ता को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के रूप

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218. इच्छाशक्ति से पाएं सफलता

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारी इच्छाशक्ति वह अस्त्र है, जो मन को शुद्ध रखती है। मधुर मन और खुश मन सदैव सफलता की ओर अग्रसर करता है। मन को मजबूत और बलवान बनाना हमारा संकल्प होना चाहिए क्योंकि मन का स्वस्थ होना ही होश में होना कहलाता है। महान और सफल व्यक्ति

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217. संतोष

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यह संसार आंसुओं की घाटी नहीं, संतोष का उपवन है। संतोष एक जादुई दीपक की तरह है।कवियों ने संतोष के बारे में बहुत ही सुंदर चित्रण किए हैं —संतोष के दीपक से मछुआरे की टूटी- फूटी झोपड़ी चांदी के महल में बदल जाती है। उस झोपड़ी के शहतीर,

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216. यादों के झरोखे

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यादें मनुष्य के जीवन का अहम् हिस्सा होती हैं। जैसे-जैसे जीवन रूपी यात्रा चलती है, वैसे- वैसे यादों का कारवां भी अनवरत् चलता रहता है। यादों का यह कारवां फलता-फूलता जाता है। यादें हमसे परछाई की तरह चिपकी रहती हैं। मनुष्य का अतीत यादों से भरा हुआ होता

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215. चेतना का विकास

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जब आप किसी कार्य में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं तो उसमें सतत् सुधार के लिए निरंतर प्रयास करते हैं और एक दिन आप उसमें पारंगत हो जाते हैं, यह विकास है। लेकिन जब हम आंतरिक विकास की बात करते हैं, तो चेतना के विकास के बात करते

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214. सेवा भाव

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के अपने कुछ नियम और कायदे होते हैं जिनका पालन करना प्रत्येक मनुष्य के लिए अनिवार्य होता है। अगर वह समाज में नहीं रहता तो वह मनुष्य नहीं है फिर या तो वह दानव है या फिर देवता। समाज में रहते हुए

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213. जीवन- यात्रा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन रूपी यात्रा में अपनी मंजिल पर पहुंचना मनुष्य के लिए बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है, परंतु उसके लिए आत्मविश्वास और इरादा मजबूत होना चाहिए। इनके अभाव में किसी भी प्रकार की सफलता और सिद्धि के द्वार पर नहीं पहुंचा जा सकता। मंजिल पर पहुंचने के लिए हृदय

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212. आत्मनिर्भरता का मंत्र— मातृभाषा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः इन दिनों देश में आत्मनिर्भरता की बहुत चर्चा हो रही है। आत्मनिर्भरता वास्तव में प्रत्येक स्तर पर सोची जाने वाली एक राष्ट्रव्यापी सोच है। देश की समृद्धि और विकास के लिए आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है। अगर इस सोच को विस्तार देना है तो उत्पादकता से जुड़े सभी वर्गों

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