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62. आत्मबल का प्रकाश

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः प्रकाश अपने आप में एक पूर्ण शब्द है। यह जीवन का पर्याय है। जीवन में कई बार अनुकूल और सकारात्मक परिस्थितियां होने के बावजूद भी किसी मनुष्य को उचित फल प्राप्त नहीं हो पाता। दरअसल इसका प्रमुख कारण कर्म से ज्यादा आसक्ती में लिप्त होना है। यहां पर […]

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61. अपनी भूमिका पहचानें

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यह विश्व एक रंगमंच है और ईश्वर उसके निर्देशक हैं। इस संसार के सभी प्राणी कठपुतली हैं और उनकी डोर उस परम ब्रह्म ईश्वर के पास है, जो हमें कठपुतली की तरह नचाते रहते हैं। हम सभी मनुष्य मानो रंगमंच के पात्र हैं। हमें कब और किस समय

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60. प्रकृति एवं संघर्ष

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्य जीवन में सफलता की राह संघर्ष से ही खुलती है। लेकिन जब हम जीवन में संघर्ष से पीछा छुड़ाकर भागने लगते हैं, तो इससे कई नई समस्याओं और संघर्षों को आमंत्रित करते हैं। इस प्रकार हम समाधान निकालने की बजाय समस्या में और गहरे फंसते चले जाते

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59. अर्थपूर्ण हों विचार

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मन में विचार आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। विचार सबके मन में आते हैं। लेकिन विचार उसी के मान्य होते हैं, या महान् होते हैं, जो अर्थपूर्ण हों, जिनका अपना कोई अस्तित्व हो। इसलिए अर्थपूर्ण विचारों के लिए जरूरी है कि आपका दृष्टिकोण सकारात्मक हो। इसके लिए आप

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58. दुख की अनुभूति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः दुख की अनुभूति तो अपनी मन: स्थिति पर निर्भर करती है। वह स्थूल न होकर निराकार होते हुए भी अति प्रचंड रूप ले सकती है। सत्य तो यह है कि—टेढ़े- मेढ़े रास्तों पर चलने से ही जीवन के कठिनतम पाठ कंठस्थ हो पाते हैं। जो जीवनयापन में अत्यंत

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57.सहनशीलता‌

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सहनशीलता में एक ऐसी अद्भुत शक्ति समाई रहती है, जो आत्म चेतना को अमरत्व प्रदान कर अजेय बना देती है। दूसरी ओर जहां सहनशीलता का अभाव रहता है, वहां व्यक्ति के टूटने में ज्यादा देर नहीं लगती। वैसे भी इंसान की जिंदगी हर घड़ी इम्तिहान लेती हैै और

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56. उम्मीद—”वो” है ना

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन में प्रत्येक कार्य के लिए बढ़िया योजना, अनुकूल परिस्थिति, धैर्य, सकारात्मक दृष्टिकोण और अपार मेहनत की जरूरत पड़ती है। यदि आप किसी काम को हर हाल में शुरू कर सफल होना चाहते हैं, तो उससे जुड़ी सारी जानकारियां जुटाएं, सारे उपलब्ध साधनों को जुटाएं और उस समय

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55. सद्-बुद्धि और दुर्बुद्धि

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः भक्ति की प्रगाढ़ता जब अपनी चरम-सीमा पर होती है, तो परमात्मा वरदान के रूप में भक्त को सद्बुद्धि के रूप में देवी संपदा प्रदान करते हैं। जिससे उसे नाना प्रकार के लौकिक सुख, संपत्ति, धन-दौलत, यश-कीर्ति, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। वहीं ईश्वर के प्रति नास्तिकता का भाव

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54. धैर्य से मिलते हैं—ज्ञान और शांति

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्यों को आज सबसे अधिक आवश्यकता धैर्य की है। लोग सफल होने के बाद अशांत हो जाते हैं और शांति की तलाश करते हैं। शांति की तलाश में निकलने से पहले धैर्य, सहनशीलता के गुण हमें अपने अंदर विकसित करने होंगे। ज्यादातर लोगों की जिंदगी में इन दिनों

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53. हो मन का प्रबंधन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारे मन की भावनाएं और विचार हमारे व्यक्तित्व को एक आकार देते हैं। यह बात आधुनिक विज्ञान की ही स्थापना नहीं, बल्कि हमारे वैदिक शास्त्रों द्वारा उद्घाटित सत्य है। मनुष्य अपनी पूरी जिंदगी में कुछ ऐसे काम करता है कि “उसने ऐसा क्यों किया” यह जानने में विज्ञान

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