Sunita Rani

241. धर्म

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः धर्म से अभिप्राय है कि— धार्मिक होना और धार्मिक होने का अर्थ है— परिवर्तन की यात्रा पर चल पड़ना, रूपांतरण की ओर प्रस्थान कर देना। यहां से एक नए जीवन की यात्रा प्रारंभ होती है और इसमें अध्यात्म के स्पंदन जाग जाते हैं। क्योंकि धर्म की सच्चाई यही […]

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240. प्रभु प्रेम

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः अगर हम जीवन में प्रसन्न रहना चाहते हैं तो यह परम आवश्यक है कि— हमारा जीवन स्थाई प्रेम से भरपूर रहे और स्थाई रहने वाला प्रेम केवल प्रभु का प्रेम ही है जो कि दिव्य और आध्यात्मिक है। क्योंकि जब भी हम अपनी अंतरात्मा में प्रभु प्रेम से

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239. ज्ञानी

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मनुष्य अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त करता है और सफलता प्राप्त करने के लिए ज्ञान की महती आवश्यकता होती है। ज्ञान प्राप्त कर मनुष्य अपनी हर मनोकामना की पूर्ति कर सकता है। आज के समय उसमें ज्ञान की कमी है। डिग्री प्राप्त

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238. संवर्ग विद्या

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः संवर्ग का अर्थ होता है— संग्रहण या सब कुछ ग्रहण करना यानी आत्मसात् करना। जो विधि या वस्तु दूसरे को सही ढंग से आत्मसात् कर ले या फिर ग्रहण कर ले, वह संवर्ग संपन्न कही जाती है।एक बच्चा अपने हाथ में जलता हुआ दीपक लेकर मंदिर जा रहा

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237. मनुष्य और सृष्टि

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यह संपूर्ण सृष्टि ईश्वर द्वारा रचित है। मनुष्य इस सृष्टि का एक महत्वपूर्ण अंग है। समस्त प्रकृति का नियंत्रण ईश्वर के पास है और वही उसको लगातार चलायमान रखता है। जब सृजक एक है तो सृष्टि के सभी तत्वों में अंतरसंबंध से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।

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236. वैज्ञानिकों ने स्वीकारा— मृत्यु के बाद भी है, जीवन (पुनर्जन्म)

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमारे ऋषि-मुनियों ने सृष्टि के आरंभ में ही इस बात की पुष्टि कर दी थी कि— आत्मा अजर-अमर है। जब आत्मा है तो स्वाभाविक है, पुनर्जन्म होता है। क्योंकि आत्मा एक शरीर छोड़कर दूसरा शरीर धारण करती है। इसकी पुष्टि भगवद् गीता में दर्ज है।महाभारत में जब कुरुक्षेत्र

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235. अटल सत्य है—मृत्यु

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मृत्यु शब्द का नाम सुनते ही प्रत्येक प्राणी की सांसे ऊपर-नीचे होने लगती हैं, उसके हाथ पैर फूल जाते हैं, उसका दिमाग सुन्न हो जाता है, सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है, पूरा शरीर कांपने लगता है, कानों से सुनना बंद हो जाता है, आंखों के

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234.वैज्ञानिकों ने स्वीकारा—आत्मा का अस्तित्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः भारतीय पौराणिक ग्रंथों में हजारों साल पहले ही शरीर की काया में विद्यमान आत्मा को अजर- अमर माना गया है। हमारे मनीषियों ने सृष्टि के आरंभ में ही आत्मा के अस्तित्व को स्वीकारा और इसके संबंध में अपने मत भी व्यक्त किए और फिर महाभारत युद्ध के दौरान

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233. मोक्ष प्राप्ति के साधन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः शास्त्रों में जीवन के चार उद्देश्य—धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष बताए गए हैं। सांसारिक बंधनों से मुक्ति ही मोक्ष का द्वार खोलती है। भारतीय दर्शन केवल मोक्ष की सैद्धांतिक चर्चा ही नहीं करता बल्कि उसके व्यावहारिक उपाय भी बताता है।न्याय दर्शन के अनुसार दुख का निवारण ही मुक्ति

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232. सेवा भाव

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः ईश्वर चंद्र विद्यासागर के बचपन की एक घटना है। एक दिन एक गरीब व्यक्ति उनके घर पर आया और उनसे कुछ मांगने लगा।ईश्वर चंद्र दौड़ते हुए अपनी मां के पास गए और उनसे उस गरीब व्यक्ति की सहायता करने के लिए कहा।मां ने अपने बच्चे के अबोध मन

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