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72. विचारों का प्रभाव

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः यह सत्य है कि प्रत्येक मनुष्य की बौद्धिक क्षमता भिन्न होती है। वह अपनी क्षमता के आधार पर ही विचारों को स्वीकार या अस्वीकार करता है। बुद्धिमान लोग सदैव उत्तम विचारों से भरे होते हैं और मूर्ख व्यक्ति वैचारिक रूप से दरिद्र होते हैं। लेकिन वे इसे स्वीकार […]

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71. ईश्वर की कृपा

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः परमात्मा महान परोपकारी एवम् दाता है। उसने जीव रचे और जीवन योग्य सभी प्रबंध भी किए। ईश्वर हर किसी के प्रति समान भाव रखता है। उसने आधार देने के लिए धरती बनाई। जीवित रहने के लिए वायु, जल, वनस्पतियां और अग्नि की उत्पत्ति की। यह सब प्रबंध जीवन

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70. मानव गुण

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सनातन-धर्म के अनुसार वर्तमान काल को कलयुग कहा जाता है। इसमें मानव में तमो ज्यादा, रजो थोड़ा तथा सद्गुणों का मुख्य रूप से अभाव ही रहता है। अध्यात्म के अनुसार मनुष्य संसार में ऐसा प्राणी है जो विवेक के द्वारा तत्वज्ञान तथा योग के द्वारा तमो और रजो

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69. सन्यास

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आजकल जिसे देखो, सभी सन्यास की ही बातें करते रहते हैं। अपने जीवन से उदास होकर सन्यास धारण करना चाहते हैं। उनके लिए गेरुवे वस्त्र धारण करना ही सन्यास लेना है। लेकिन सन्यास का अर्थ यह नहीं है कि— आप गेरुवे वस्त्र पहन कर, घर- गृहस्थी, परिवार को

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68. तपस्या का महत्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः मनुष्यों और देवताओं के अतिरिक्त दानव भी तपस्या के महत्व को स्वीकार करते हैं। क्योंकि तपस्या से उन्हें शक्तियों की प्राप्ति होती हैं, फिर इन्हीं शक्तियों के बूते मनुष्य और देवता सर्जन का कार्य करते हैं, तो दानव विध्वंस का खेल खेलते रहते हैं। तपस्या का महत्व केवल

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67. जीवन का उद्देश्य

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्क ट्वैन ने कहा था—मानव जीवन में केवल दो ही दिन महत्त्वपूर्ण होते हैं। पहला दिन जब उसका जन्म होता है और दूसरा जब वह यह जान लेता है कि आखिर उसके जन्म का उद्देश्य क्या है? किंतु दुर्भाग्यवश जीवन धारण करने के बाद हम

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66. वास्तविक ज्ञान

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः हमें बिल्कुल भी शंका नहीं होनी चाहिए कि इस संसार में रहते हुए हमारे जीवन में दुखों की भरमार है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि 25 फिसदी दुख बाहरी कारणों से आते हैं जैसे— बाढ़, अकाल, आंधी- तूफान, महामारी आदि के रूप में। ये किसी एक को

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65. निराश व्यक्तित्व

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः आज के मशीनरी युग में ज्यादातर व्यक्ति निराशा रूपी अंधकार में डूबे हुए हैं। उनके दिलो-दिमाग पर निराशा रूपी राक्षस ने अपना डेरा जमा रखा है। उनके चारों तरफ का वातावरण निराशा रूपी धुएं से भरा हुआ है, जिसमें से रोशनी की एक छोटी-सी भी उम्मीद भरी किरण

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64. आत्मचिंतन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः महात्मा बुद्ध ने आत्मचिंतन के विषय में कहा है कि— “मनुष्य जितना अधिक आत्मचिंतन से सीख सकता है, उतना किसी बाहरी स्रोत से नहीं।” आत्मचिंतन की प्रवृत्ति वाला मनुष्य हमेशा अपने दोषों को सूक्ष्मता से देखता है और उनको अपनी आत्मिक शक्ति से दूर भी करने में समर्थ

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63. सफल जीवन

श्री गणेशाय नमः श्री श्याम देवाय नमः सफल जीवन की कोई परिभाषा नहीं है। कैसा जीवन जिएं, जिससे हमें आनंद की प्राप्ति हो। इसके संबंध में सभी के अपने-अपने मत हैं। कोई यह नहीं कह सकता कि जीवन के संबंध में उसका मत ही सबसे अच्छा है, सर्वश्रेष्ठ है। प्रत्येक व्यक्ति का, जीवन जीने का

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